Thursday, February 2, 2012

एक पहल...

५४ साल लम्बी यादें........उतार चढ़ावों से भरीं, जिसमें बहुत कुछ बीता.....
कुछ फाँस सा असहनीय पीड़ा दे गया ....
कुछ अनायास ही खिल आनेवाली मुस्कराहट का सबब बन गया....
कुछ एक कविता बन मुखरित हो गया...
कुछ , बस यूहीं धूप में छाँव सा ठंडक पहुंचा गया ......
और यादों का यह काफिला , पृष्ट दर पृष्ट पूरा जीवन बन गया
जिसमें गाहे बगाहे, कुछ सुरीले, सुखद क्षण,
.....मेरे हिस्से की धूप बन गए.....

9 comments:

  1. bahut hi sundar naam diya hai aap ne blog ko "mere hisse ki dhup"

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  2. वाकई बहुत ही सुंदर नाम है ब्लॉग का

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  3. बहुत ही बढ़िया

    आपका ब्लॉग और लेखन यूं ही चलता रहे।

    सादर

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  4. सुन्दर रचना से शुरुआत

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  5. क्या बात है सरस जी, एक सुन्दर शुरुआत!

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  6. बहुत ही सुन्दर सृजन
    सुन्दर भाव...सुन्दर रचना...

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  7. बहुत सुंदर.......................

    अनु

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  8. वाह ....अपने हिस्से की धूप ...
    सुंदर वर्णन ....
    आभार सरस जी एवम शुभकामनायें भी ...

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