टूटकर चाहा था तुमने
सभी रिश्तों
उनसे जुड़ी संवेदनाओं
और उपजते प्रश्नचिन्हों
को ताक पे रखकर ...
सबसे परे
सिर्फ एक रिश्ता था
हमारा अपना
जिसमें अच्छा बुरा
सही ग़लत
हम तै करते थे
उसी सच को सर्वस्व मान
पूरी ज़िन्दगी गुज़ार दी हमने
आज जब तुम नहीं हो
तो तुम्हारे इस टूटकर चाहने ने
पूरी तरह से
तोड़ दिया है मुझे ....!!!
सरस