Thursday, January 3, 2013

क्षणिकाएं



    (१)
एक अनजाना चेहरा -
एक अज्ञात नाम -
लेकिन कमाल का जज़्बा-
फिर यह शिकायत क्यूं ,
की इंसानियत मर चुकी है ......!

   (२)

मौन से बढ़िया साथी आज तक नहीं मिला
वह न रोकता है ...न टोकता है ..
बस मेरे मनकी सुनता है ....
न बहस करता है  ...न उलझता है ...
न अपनी बात मनवाने की जिद्द करता है ...
मौन सिर्फ साथ देता है ...जब तक चाहो ...
जहाँ तक चाहो ....!!!!

    (३)

शोर सुना है अक्सर -
-सर पीटती लहरों का
-अस्फुट , अर्थहीन नारों का
-विस्फोटों के खौफ का
- नूरा कुश्ती करते  विचारों का ....
पर जो देहलाता है सबसे ज्यादा !
वह है शोर-
सन्नाटे का ...!!!



33 comments:

  1. और सन्नाटे का शोर जाने कितना कुछ कहता है
    बन जाता है सहयात्री, हमदम
    खोलता है नए द्वार

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  2. आपकी टिप्पणी का रहता है सदा इंतज़ार .....बहुत बहुत आभार ...:)

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  3. और मौत का सन्नाटा????
    ओह! दिल दहलाता है..
    हाँ तब मौन मन को बहलाता है...

    बहुत अच्छी क्षणिकाएँ..
    सादर
    अनु

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  4. शोर सुना है अक्सर -
    -सर पीटती लहरों का
    -अस्फुट , अर्थहीन नारों का
    -विस्फोटों के खौफ का
    - नूरा कुश्ती करते विचारों का ....
    पर जो देहलाता है सबसे ज्यादा !
    वह है शोर-
    सन्नाटे का ..

    तीनों क्षणिकाएं अपने आप में पूर्ण अर्थों को बयां करती ..एक से एक खुबसूरत ..अद्भुत भावयुक्त .

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    1. बहुत बहुत आभार रमाकांत जी

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  5. शानदार , जानदार , दमदार ..तीनों :)

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  6. पर जो दहलाता है सबसे ज्यादा !
    वह है शोर-
    सन्नाटे का ...!!!

    गागर में सागर भरती सी क्षणिकाएं

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    1. खुश कर दिया रश्मि तुमने ...:)

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  7. वाह ! अच्छा लिखा है । कम में अधिक या लघु में दीर्घ भाव ।

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    1. प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार अमितजी

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  8. एक से एक खुबसूरत भावों को लिए तीनो क्षणिकाए..बधाई सरस जी,,,

    recent post: किस्मत हिन्दुस्तान की,

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    1. प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार

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  9. Replies
    1. प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार

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  10. तीनों ही शानदार.........पहला वाला सबसे अच्छा ।

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    1. रचना पसंद करने के लिए बहुत बहुत आभार इमरान जी

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  11. तीनो ही बेहतरीन क्षणिकाएँ.. ...पर तीसरी बेहतरीन लगी

    नयी उम्मीदों के साथ नववर्ष की शुभकामनाएँ !!

    @ संजय भास्कर

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    1. प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आभार संजयजी ...नव वर्ष की अशेष शुभकामनाएं आपको भी ...:)

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  12. खामोशियां बहुत कुछ बांटती हैं
    सांझा करने में जाने इन्‍हें कैसा सुकून मिलता है
    ... हर क्षणिका अनुपम भाव संजोये नि:शब्‍द करती है
    सादर

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    1. रचना को सराहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सदाजी

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  13. सरस जी...तीनों क्षणिकाएँ बहुत सुन्दर हैं ... विशेषकर दूसरी - मौन

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    1. आपका ब्लॉग पर आना अच्छा लगा ...आभार शालिनीजी ...:)

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  14. सन्नाटे का शोर भी मौन है, किससे शिकायत करे
    की इंसानियत मर चुकी है ...
    गहन भाव लिए हुए हैं तीनो क्षणिकाएं... आभार

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  15. प्रोत्साहन के लिए आभार संध्याजी...:)

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  16. सच है ... इस सन्नाटे का शोर कभी कभी बहरा कर देता है ...
    सभी क्षणिकाएं प्रभावी ...

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  17. मौन सिर्फ साथ देता है ...जब तक चाहो ...
    जहाँ तक चाहो ....!!!!kitna achcha likhi hain....

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  18. सभी क्षणिकाएं लाज़वाब...

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  19. गहन भाव लिए सुंदर अभिव्यक्ति ......!!

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  20. पर जो देहलाता है सबसे ज्यादा !
    वह है शोर-
    सन्नाटे का ...!!!

    ....बिल्कुल सच...सभी क्षणिकाएं बहुत प्रभावी और अंतस को छू गयीं...

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