सहसा याद आ गए
बचपन के वे दिन -
जब मनाते गणतंत्र और स्वंत्रता दिवस
सीने में जोश और आँखों में नमी भरे
जब झंडा स्कूल का फहराते थे -
जन गण मन -
हर शब्द
दिलों की थाह से उभरते आते थे -
कितना अभिमान
देश और झन्डे पर अपने था
गौरव से सर अपने
ऊँचे उठ जाते थे
आँख टिकाये टीवी पर -
रहता इंतज़ार -ध्वजा रोहण का
फहराता तिरंगा जब -
वे क्षण वहीँ रुक जाते थे .....
आज फिर आया है गणतंत्र दिवस
लेकिन आज
वह जोश
वह जज़्बा नहीं
न है चाह की देखूं
परेड जनपथ की -
न इच्छा फहराऊं झंडा अभी -
वह ध्वज जिसमें
लिपटे शहीद आये थे
सर जिनके किये थे ...
धड़ से जुदा ...
याद आया है फिर उन शहीदों का जोश -
मरने मिटने वतन पे वे सब चल दिए -
पर समीधा बने जिस हवन के लिए
क्या वह आहुति थी
'इस' वतन के लिए ....?
जहाँ ज़ुल्म की नुमाईश
बद से बदतर हुई -
जहाँ सच्चाई को
सिर्फ सूली मिली -
जहाँ अपनों ने अपनों पे
ढाए सितम -
जहाँ औरत बनी आज सिर्फ
एक जिसम .......
क्या मनाएँ भला -
क्यों मनाएँ भला -
किस ख़ुशी , किस विजय का
बहाना गढ़ें -
बीत जायेगा यह भी
हर वर्ष की तरह -
आओ गिनती में इसकी इज़ाफा करें.....
गणतंत्र की खुशियाँ केवल सत्ताधीशों के लिए, आम आदमी के नसीब में कुछ भी नहीं केवल गिनती में इजाफे के, सुंदर कविता
ReplyDeleteजो भी हो गलतियों को दिमाग मे रख कर ,उन से सबक ले कर हमें अपना यह राष्ट्रीय पर्व सम्मान के साथ मनाना ही चाहिए।
ReplyDeleteशुरू की पंक्तियों से बचपन के दिन ताज़ा हो गए।
सादर
शुभकामनायें आदरेया ।।
ReplyDeletebehtreen post....
ReplyDeleteगाते हुए जन गण अन्दर में हिमालय सी भावना होती थी
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है,आदर सम्मान के साथ मनाना चाहिए,,,,
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
recent post: गुलामी का असर,,,
बहुत सही कहा सरस जी आप ने..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
ReplyDeleteआज के हालत पर हृदय की पीड़ा को उकेरती बेहद भावपूर्ण रचना .... गणतंत्र दिवस की बधाई सहित..
ReplyDeleteसामाजिक अव्यवस्था से हम सभी इतने उब चुके हैं कि अब राष्ट्रीय पर्व मनाना जैसे औपचारिकताएँ पूरी करना भर रह गया है. सच है साल की गिनती में बस इजाफा हो रहा है. शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteवाकई मौजूदा हालातों में क्या मनाएं गणतंत्र...
ReplyDeleteमगर दिल है कि मानता नहीं...आस है कि टूटती नहीं.....
गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !!
सादर
अनु
सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें...... गहरी सोच लिए हैं आपकी पंक्तियाँ...... कुछ याद दिलाया कुछ आज का बताया , बहुत उम्दा
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुति | गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता. दुःख के इस माहौल में क्या है गर्व करने को.... हाँ बचपन की इस दिन की अच्छी यादें जरूर लौट आयीं. धन्यवाद.
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
ReplyDeleteसुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति विवाहित स्त्री होना :दासी होने का परिचायक नहीं आप भी जाने कई ब्लोगर्स भी फंस सकते हैं मानहानि में .......
ReplyDeleteयाद आया है फिर उन शहीदों का जोश -
ReplyDeleteमरने मिटने वतन पे वे सब चल दिए -
पर समीधा बने जिस हवन के लिए
क्या वह आहुति थी
'इस' वतन के लिए ....?
जहाँ ज़ुल्म की नुमाईश
बद से बदतर हुई -
जहाँ सच्चाई को
सिर्फ सूली मिली -
जहाँ अपनों ने अपनों पे
ढाए सितम -
जहाँ औरत बनी आज सिर्फ
एक जिसम .......
अद्भुत आपका अंदाज़ गणतंत्र दिवस की शुभकामना
एक याद अच्छे दिनों की जिसे फिर जीने की तमन्ना दिखती है आपकी चाहत को प्रणाम।