Saturday, January 26, 2013

गणतंत्र दिवस




सहसा याद आ गए
बचपन के वे दिन -
जब मनाते गणतंत्र और स्वंत्रता दिवस
सीने में जोश और आँखों में नमी भरे
जब झंडा स्कूल का फहराते थे -
जन गण मन  -
हर शब्द
दिलों की थाह से उभरते आते थे -
कितना अभिमान
देश और झन्डे पर अपने था
गौरव से सर अपने
ऊँचे उठ जाते थे
आँख टिकाये टीवी पर -
रहता इंतज़ार -ध्वजा रोहण का
फहराता तिरंगा जब -
वे क्षण वहीँ रुक जाते थे .....

आज फिर आया है गणतंत्र दिवस
लेकिन आज
वह जोश
वह जज़्बा नहीं
न है चाह की देखूं
परेड जनपथ की -
न इच्छा फहराऊं झंडा अभी -
वह ध्वज जिसमें
लिपटे शहीद आये  थे
सर जिनके किये थे ...
धड़ से जुदा ...

याद आया है फिर  उन शहीदों का जोश -
मरने मिटने वतन पे वे सब चल दिए -
पर समीधा बने जिस हवन के लिए
क्या वह आहुति थी
'इस' वतन के लिए ....?
जहाँ ज़ुल्म की नुमाईश
बद से बदतर हुई -
जहाँ सच्चाई को
सिर्फ सूली मिली -
जहाँ अपनों ने अपनों पे
ढाए सितम -
जहाँ औरत बनी आज सिर्फ
एक जिसम .......

क्या मनाएँ भला -
क्यों मनाएँ भला -
किस ख़ुशी , किस विजय का
बहाना गढ़ें -
बीत जायेगा यह भी
हर वर्ष की तरह -
आओ गिनती में इसकी इज़ाफा करें.....

16 comments:

  1. गणतंत्र की खुशियाँ केवल सत्ताधीशों के लिए, आम आदमी के नसीब में कुछ भी नहीं केवल गिनती में इजाफे के, सुंदर कविता

    ReplyDelete
  2. जो भी हो गलतियों को दिमाग मे रख कर ,उन से सबक ले कर हमें अपना यह राष्ट्रीय पर्व सम्मान के साथ मनाना ही चाहिए।
    शुरू की पंक्तियों से बचपन के दिन ताज़ा हो गए।

    सादर

    ReplyDelete
  3. शुभकामनायें आदरेया ।।

    ReplyDelete
  4. गाते हुए जन गण अन्दर में हिमालय सी भावना होती थी

    ReplyDelete
  5. गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है,आदर सम्मान के साथ मनाना चाहिए,,,,

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
    recent post: गुलामी का असर,,,

    ReplyDelete
  6. बहुत सही कहा सरस जी आप ने..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,

    ReplyDelete
  7. आज के हालत पर हृदय की पीड़ा को उकेरती बेहद भावपूर्ण रचना .... गणतंत्र दिवस की बधाई सहित..

    ReplyDelete
  8. सामाजिक अव्यवस्था से हम सभी इतने उब चुके हैं कि अब राष्ट्रीय पर्व मनाना जैसे औपचारिकताएँ पूरी करना भर रह गया है. सच है साल की गिनती में बस इजाफा हो रहा है. शुभकामनाएँ.

    ReplyDelete
  9. वाकई मौजूदा हालातों में क्या मनाएं गणतंत्र...
    मगर दिल है कि मानता नहीं...आस है कि टूटती नहीं.....
    गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !!

    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  10. सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें...... गहरी सोच लिए हैं आपकी पंक्तियाँ...... कुछ याद दिलाया कुछ आज का बताया , बहुत उम्दा

    ReplyDelete
  11. उम्दा प्रस्तुति | गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें |

    ReplyDelete
  12. बहुत सुन्दर कविता. दुःख के इस माहौल में क्या है गर्व करने को.... हाँ बचपन की इस दिन की अच्छी यादें जरूर लौट आयीं. धन्यवाद.

    ReplyDelete
  13. सुन्दर रचना!

    ReplyDelete
  14. याद आया है फिर उन शहीदों का जोश -
    मरने मिटने वतन पे वे सब चल दिए -
    पर समीधा बने जिस हवन के लिए
    क्या वह आहुति थी
    'इस' वतन के लिए ....?
    जहाँ ज़ुल्म की नुमाईश
    बद से बदतर हुई -
    जहाँ सच्चाई को
    सिर्फ सूली मिली -
    जहाँ अपनों ने अपनों पे
    ढाए सितम -
    जहाँ औरत बनी आज सिर्फ
    एक जिसम .......

    अद्भुत आपका अंदाज़ गणतंत्र दिवस की शुभकामना

    एक याद अच्छे दिनों की जिसे फिर जीने की तमन्ना दिखती है आपकी चाहत को प्रणाम।

    ReplyDelete