Saturday, March 3, 2012

मौन





मौन के इस विस्तार में-
डूबते उतराते न जाने कितने प्रश्न-
अपने निरुत्तर होने का बोझ ढो रहे हैं...
यह अनगिनत त्रिशंकु -
हमारे इर्द गिर्द इसी इंतज़ार में मंडराते हुए...
की कब कोई आह ...कोई सिसकी, इन्हें बींधे ..
और इन्हें मिल जाये एक आसमान.. या फिर एक ज़मीन ..
---जिसकी जो नियति हो!
और हम -
हर ख़ुशी, घंटों.... इसी मुद्रा में गवां देते हैं -
पल..घंटों में...
घंटे प्रहारों में..
और प्रहर...दिनों... हफ़्तों ...महीनों में
परिवर्तित हो जाते हैं...
लेकिन यह मौन..
जस का तस-
बींधे जाने के इंतज़ार में-
और विस्तार पाता जाता है.

20 comments:

  1. वाह....
    अदभुद भावनाएं.....

    सुन्दर...

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  2. बड़ा खतरनाक होता है ये मौन.....
    भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  3. बहुत बढ़िया भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,..

    NEW POST...फिर से आई होली...

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  4. लेकिन यह मौन..
    जस का तस-
    बींधे जाने के इंतज़ार में-
    और विस्तार पाता जाता है.
    EACH AND EVERY LINE SAYS
    SO SILENT SPEAKS.

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  5. मौन के इस सागर में सब कुछ लील जाता है ...
    इसे तोडना ही बेहतर होता है ...

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  6. sahi kaha mam...wo maun maun hi rah jaata hai..

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  7. लेकिन यह मौन..
    जस का तस-
    बींधे जाने के इंतज़ार में-
    और विस्तार पाता जाता है.

    लगता है अब तो संवाद ज़रूरी है .... :):) गहन अभिव्यक्ति ॥

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  8. mon sbhi bhavon ko sanjaye rahta hae.sundar rachna hae.......

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  9. बहुत सही कहा है आपने |अच्छी प्रस्तुति |होली पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
    आशा

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  10. "लेकिन यह मौन..
    जस का तस-
    बींधे जाने के इंतज़ार में-
    और विस्तार पाता जाता है."

    बहुत गहरी बात जो सीधी दिल तक पहुँची, अपनी सी लगी!
    बहुत सुंदर सरस जी

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  11. मौन के इस विस्तार में-
    डूबते उतराते न जाने कितने प्रश्न-
    अपने निरुत्तर होने का बोझ ढो रहे हैं...
    ANTAS TAK UTARTI RACHNA ...
    BAHUT SUNDER ....

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  12. :) i think i got the gist. the feeling is introspective, the thought... exquisite!

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  13. सुन्दर शब्द व भावों का सुन्दरतम संयोजन..

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  14. हम लोगो की सोच पर मौन ही तो हावी हैं ...मौन की भाषा को पढ़ना अच्छा लगा


    होली की बहुत बहुत शुभकामनएं

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  15. बहुत खुबसूरत लगी पोस्ट। आपको होली की शुभकामनायें।

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  16. बहुत अच्छी कविता| होली की शुभकामनाएं।

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  17. सुंदर रचना !
    आभार ब्लॉग पर आने का,
    होली की आपको भी हार्दिक शुभकामनाएं !

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  18. मौन के इस विस्तार में-
    डूबते उतराते न जाने कितने प्रश्न-
    अपने निरुत्तर होने का बोझ ढो रहे हैं...
    .भाव का विरेचन करती रचना .होली मुबारक .

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  19. सुंदर चित्रण है ...
    रंगोत्सव की शुभकामनायें स्वीकार करें !

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