आंसूओसे यह अजीबसा रिश्ता कैसा -
मेरी हर आह्से बेसाख्ता जुड़े रहते हैं
ज़रा सी टीस दरीचोंसे झांकती है जब
मरहम बनकर उसे ढकने को निकल पड़ते हैं...
जब कभी चाहूं मैं रोकना पीना उनको-
हर हरी चोट को नासूर बना देते हैं -
जमकर बर्फ हो गए उन लम्होंको -
अपनी बेबाक तपिशसे जिला देते हैं ...
फिर तड़प का वही सिलसिला रवां करके
किसी मासूम की आँखों से ताकते मुझको-
मानो मेरा दर्द, मेरी तकलीफ़ देखकर वह -
कुछ शर्मसार से निगाहोंको झुका लेते हैं.
दर्द का अटूट रिश्ता जो है आंसुओं से....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव सरस जी...
हमराह जो होते हैं आंसू!
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
सादर!
मानो मेरा दर्द, मेरी तकलीफ़ देखकर वह -
ReplyDeleteकुछ शर्मसार से निगाहोंको झुका लेते हैं.
बहुत सुंदर भाव की रचना,..सरस जी बधाई
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,
जमकर बर्फ हो गए उन लम्होंको -
ReplyDeleteअपनी बेबाक तपिशसे जिला देते हैं सुंदर भाव .....सरस जी ....
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteज़रा सी टीस दरीचोंसे झांकती है जब
ReplyDeleteमरहम बनकर उसे ढकने को निकल पड़ते हैं...
बहुत खूबसूरत बात काही है ... सुंदर अभिव्यक्ति
ज़रा सी टीस दरीचोंसे झांकती है जब
ReplyDeleteमरहम बनकर उसे ढकने को निकल पड़ते हैं...
वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।
भावमय करती कविता
ReplyDeleteसादर
कल 30/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
मानो मेरा दर्द, मेरी तकलीफ़ देखकर वह -
ReplyDeleteकुछ शर्मसार से निगाहोंको झुका लेते हैं.
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति ...
कोमल एहसासों की सुन्दर रचना
ReplyDeleteज़रा सी टीस दरीचोंसे झांकती है जब
ReplyDeleteमरहम बनकर उसे ढकने को निकल पड़ते हैं...बहुत खुबसूरती से अप्नी बात कही है ,बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
बहुत ही खूब और शानदार पोस्ट.....कई बार तो कुछ लोगों के लिए आंसू सुख ही जाते हैं फिर यही दुःख उनके अन्दर पलने लगता है आंसू कम से कम उसको बहा तो देते हैं ।
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत कोमल अहसास और सुंदर शब्द संयोजन ........
ReplyDeleteहम्मम्मम.....कोमल रचना....
ReplyDeleteभीगी भीगी सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteसादर।
bahut sundar !
ReplyDeleteवाह..बेहद खूबसूरत नज़्म!!
ReplyDeleteज़रा सी टीस दरीचोंसे झांकती है जब
ReplyDeleteमरहम बनकर उसे ढकने को निकल पड़ते हैं
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
Wah...Bahut Sunder
ReplyDeleteपिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
ReplyDelete......... रचना के लिए बधाई स्वीकारें.
आंसुओं से अनूठा सा रिश्ता जोड़ती बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना ..... बधाई!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....
ReplyDelete