Saturday, April 14, 2012

-कबंध -











बरसों से इसी तरह ज़मीन में धंसी हुई -
श्रापग्रस्त -
तुम्हारी बाट जोती हुई -मैं !
और तुम ...!!!
मुझसे विमुख -
रुष्ट -
असंतुष्ट -
मेरी पहुँच से कोसों दूर !!!!!

मेरे राम ...
क्यों नहीं विध्वंस कर जला देते -
श्रापग्रस्त स्म्रितियोंको  -
.....जो कुरूप हैं ....
और जिला देते .
वह जो सुन्दर है ...
जो परिस्तिथियोंसे-
अभिशप्त नहीं ......

36 comments:

  1. वाह....................

    बहुत सुंदर ...
    सरस जी नमन करती हूँ आपकी भावाव्यक्ति को...
    कितनी सहज,सरल और गहन.................

    सस्नेह.

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  2. अप्रतिम ...सरस ...सकारात्मक ...खिली खिली .....एक हलकी मुस्कान पाने की मन कि ख्वाइश...
    बहुत सुंदर रचना ....!!
    शुभकामनायें ...सरस जी ...

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  3. प्रतीक्षा की तयशुदा अवधि ... व्याकुल करती है , पर प्रभु का आना होता है

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  4. बहुत ही बढ़िया आंटी!


    सादर

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  5. मेरे राम ...
    क्यों नहीं विध्वंस कर जला देते -
    श्रापग्रस्त स्म्रितियोंको -
    जो कुरूप हैं ....
    बहुत सुंदर रचना...अच्छे भाव,..सरस जी
    .
    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  6. प्रतीक्षा ... और प्रतीक्षा

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  7. प्रतीक्षा और यह सरल सुन्दर अभिव्यक्ति ..बहुत सुन्दर.

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  8. श्राप ग्रसित स्मृतियाँ प्रतीक्षा में राम की ... बहुत सुंदर भाव

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  9. और जिला देते .
    वह जो सुन्दर है ...
    जो परिस्तिथियोंसे-
    अभिशप्त नहीं ......waah...

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  10. बहुत सुंदर भाव....

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  11. मेरे राम ...
    क्यों नहीं विध्वंस कर जला देते -
    श्रापग्रस्त स्म्रितियोंको -
    .....जो कुरूप हैं ....
    और जिला देते .
    वह जो सुन्दर है ...
    जो परिस्तिथियोंसे-
    अभिशप्त नहीं ......
    SO SO SO BEAUTIFUL LINES TO SAY AND THINK 1000 TIMES .
    I CAN SAY PRANAM PRANAM TO YOU AND YOUR NICE THOUGHT.

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  12. सुंदर अतिसुन्दर सारगर्भित रचना , बधाई

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  13. बरसों से इसी तरह ज़मीन में धंसी हुई -
    श्रापग्रस्त -
    तुम्हारी बाट जोती हुई -मैं !
    और तुम ...!!!
    मुझसे विमुख -
    रुष्ट -
    असंतुष्ट -
    मेरी पहुँच से कोसों दूर !!!!!अति सुन्दर , कृपया इसका अवलोकन करें vijay9: आधे अधूरे सच के साथ .....

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  14. यह बेजोड़ रचना है .........इसे कहते हैं कविता ........बधाई स्वीकारें

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  15. भाव बहुत सुन्दर हैं .

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  16. धैर्य ही प्रतीक्षा का स्थाई संबल है . सुँदर रचना .

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  17. सुन्दर अभिव्यक्ति .......

    http://naritusradhahai.blogspot.in/

    इस ब्लॉग पर नारी से सम्बन्धित उसके विचारों को प्रस्तुत करने की आज़ादी जिसमे नारी की सोंच विचार उसकी खुशियाँ,घुटन और समाज से क्या लिया इन सभी को अपनी रचनाओं यथा कविता ,ग़ज़ल, कहानी, लेखों के जरिये लिख सकती हैं (सकते) हैं नारी मन का विश्लेषण एक नारी अच्छी तरह कर सकती है फिर भी आप जो भी लिखें वो महिला को आहत करनेवाले रचनाएँ ना हों , ना ही भद्दे शब्दों से बंधे जो महिला की छवि को ख़राब करते हों......आपके विचारों की प्रतीक्षा सादर .............रजनी नैय्यर मल्होत्रा

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  18. अनुपम भाव संयोजन लिए उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

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  19. इतने कम शब्द और इतनी गहरे बहुत ही सुन्दर ।

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  20. . गहन सोच .. सुन्दर अभिव्‍यक्ति .

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  21. kya kahun,aap ki is rachna ne to nishbd kar diya,bahut hi unda rachna hai saras ji

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  22. बहुत सुन्दर भाव और उतनी ही पूर्ण अभिव्यक्ति !

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  23. अपने कर्मों का भोग तो सभी कों भोगना है ... यही एक जरिया भी है उसको याद करने का ... नहीं तो उसको कौन माने ...

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  24. ससार गर्भित लेखन और इस सुंदर प्रस्तुति के लिये बहुत बधाई. गागर में सागर भर दिया है आपने.

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  25. यादेँ!ही तो जीवन-मरण के बीच की डोर है ....
    चाही-अनचाही ,अच्छी-बुरी .....
    शुभकामनाएँ!

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  26. kash kadvi yaadon ko bhula pana sab ke liye sambhav hota...sundar rachna

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  27. कविता में भावों का जो कन्ट्रास्ट है वह विचलित करता है।

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  28. सुन्दर भाव-अभिव्यक्ति ..
    शुभकामनायें.

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  29. मेरे राम ...
    क्यों नहीं विध्वंस कर जला देते -
    श्रापग्रस्त स्म्रितियोंको -
    .....जो कुरूप हैं ....
    sarthak pahal ke sath hi ak prabhavshali rachana

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  30. बेहतरीन रचना..

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