Thursday, March 7, 2013

मैं नारी हूँ .....




मुझे गर्व है की मैं एक औरत हूँ ....
अपने घर की धुरी ....

दिन की पहली घंटी आवाहन करती है मेरा -
मेहरी आयी है ...
"अरे सुनती हो ...चाय ले आओ "
पतिदेव की बेड टी ..
"बहू नाश्ता ..ठीक ८  बजकर २० मिनिट पर चाहिए "
"माँ...टिफ़िन...स्कूल को देर हो रही है "
"अरे सुनो ऑफिस का समय हो रहा है "
"बीबीजी ...दूध ले लीजिये .."
"सब्जीईईइ........."
सब्ज़ीवाले की पुकार !
इस बीच थोड़े थोड़े अंतराल पर बजती टेलेफोन की घंटी ..

"बहू खाना तैयार है ....?"
"माँ भूख लगी "....स्कूल से लौटे बच्चे
"क्यों चाय नहीं पिलाओगी "
...दफ्तर से लौटे पतिदेव

"रात के खाने में क्या है "
"बहू खाना लगाओ "
"सुनो थोड़ी देर मेरे पास भी बैठ जाओ "
"माँ भूख लगी है "
चौका समेटा-
दिन ख़त्म...!!!

१० हाथ हैं मेरे ....
क्या यह पुरुषों के लिए संभव है ....?
तभी तो कहती हूँ
अपने घर की धुरी हूँ मैं ...!!!!!

प.स.  बीमार पड़ने की तो कहीं गुंजाइश ही नहीं.....!!!!!!!



HAPPY WOMEN'S DAY...:) :) :)

25 comments:

  1. बहुत सुन्दर और सम्पूर्ण चित्रण भारतीय नारी का .

    ReplyDelete
  2. नमन नमन नमन
    सुन्दर प्रस्तुति आदरेया--
    शुभकामनायें-
    सादर

    ReplyDelete
  3. वास्तव में स्त्री पूरे परिवार की धुरी होती है,बहुत ही लाजबाब अभिव्यक्ति,,बधाई ,,सरस जी

    Recent post: रंग गुलाल है यारो,

    ReplyDelete
  4. धुरी भी और चकरघिन्नी भी :).पर सच है महिलायें इसमें भी ख़ुशी पाती हैं.

    ReplyDelete
  5. बिल्‍कुल सच कहा आपने ... अनुपम भावों का संगम ... यह अभिव्‍यक्ति

    ReplyDelete
  6. सार्थक अभिव्यक्ति।
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (9-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
    सूचनार्थ!

    ReplyDelete
  7. माँ .... मुझे भूख लगी है ...
    हर दिन .. हर पल व पूरी कायनात पर आप और आप ...

    ReplyDelete
  8. १० हाथ हैं मेरे ....
    क्या यह पुरुषों के लिए संभव है ....?
    तभी तो कहती हूँ
    अपने घर की धुरी हूँ मैं

    आपने नारी के सभी रूपों को जीवंत कर दिया .बहुत ही शानदार

    ReplyDelete
  9. मातृ-देवियों के हाथ इसीलिये केवल दो न हो कर 10,12,16 चित्रित किये जाते हैं

    ReplyDelete
  10. नारी के सभी रूपों की सार्थक प्रस्तुतीकरण.

    ReplyDelete
  11. अपने हिस्से की धूप अब अपनी उष्णता को पहचान गयी है..

    ReplyDelete
  12. तभी तो कहती हूँ
    अपने घर की धुरी हूँ मैं ...!!!!!
    और इसी में सच्चे सुख का अनुभव करती हूँ .... सबके मन की बात कह दी आपने... :)
    शुभकामनायें........

    ReplyDelete
  13. Bhartiya nari ka bhavbhara chitran ....bahut sundar rachna Saras ji .

    ReplyDelete
  14. इसीलिए तो कहते हैं... हर दिन ही Women's Day है.... :-)
    ~सादर!!!

    ReplyDelete
  15. १० हाथ हैं मेरे ....
    क्या यह पुरुषों के लिए संभव है ....?
    तभी तो कहती हूँ
    अपने घर की धुरी हूँ मैं ...!!!!!

    ....बिल्कुल सच...बहुत सुन्दर और सार्थक चित्रण...

    ReplyDelete
  16. लाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ...

    ReplyDelete
  17. :) kisi bhi ghar ki dhuri hai mahila...
    happy womens day didi..

    ReplyDelete
  18. सुंदर अभिव्यक्ति....

    ReplyDelete
  19. भारतीय नारी का सटीक चित्रण ।

    ReplyDelete
  20. सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete