५४ साल लम्बी यादें........उतार चढ़ावों से भरीं, जिसमें बहुत कुछ बीता.....
कुछ फाँस सा असहनीय पीड़ा दे गया ....
कुछ अनायास ही खिल आनेवाली मुस्कराहट का सबब बन गया....
कुछ एक कविता बन मुखरित हो गया...
कुछ , बस यूहीं धूप में छाँव सा ठंडक पहुंचा गया ......
और यादों का यह काफिला , पृष्ट दर पृष्ट पूरा जीवन बन गया
जिसमें गाहे बगाहे, कुछ सुरीले, सुखद क्षण,
.....मेरे हिस्से की धूप बन गए.....
ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सब को सपरिवार होली ही हार्दिक शुभकामनाएँ ! आज की ब्लॉग बुलेटिन होली के रंग, स्लो नेट और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बेहतरीन सुंदर अभिव्यक्ति,,,
ReplyDeleteआपको होली की हार्दिक शुभकामनाए,,,
Recent post: होली की हुडदंग काव्यान्जलि के संग,
सटीक परिभाषाएँ
ReplyDeleteसुंदर अभिव्यक्ति,,,
ReplyDeleteसच है की अपनों को याद करने में ... उन्हें ढूँढने में ... बहुत मदद करते हैं ये तारे ...
ReplyDeleteसहृदय मन की सुन्दर अभिव्यक्ति .....!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति । आपको और आपके पूरे परिवार को रंगों के त्योहार होली की शुभ कामनाएँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।।
ReplyDeleteपधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeletelatest post हिन्दू आराध्यों की आलोचना
latest post धर्म क्या है ?
nice.......
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सब को सपरिवार होली ही हार्दिक शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteआज की ब्लॉग बुलेटिन होली के रंग, स्लो नेट और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
बहाने हैं ये तारे ...की कोई है करीब अब भी.
ReplyDeleteसुन्दर परिभाषाएं
वह रहनुमा -
ReplyDeleteजो भटके हुओं की होते हैं -
आखरी उम्मीद !
जिस पर टिकी है पूरी कायनात .
सुन्दर परिभाषा
तारे... जो किसीके ना होने पर भी उनके होने का अहसास दिलाते हैं... सटीक परिभाषाएं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सरस जी.....
ReplyDeleteतारे- वह रहनुमा -
जो भटके हुओं की होते हैं -
आखरी उम्मीद !
और तारे वो मंजिल भी है-जो मिला देते हैं हमारे अपनों से,जो अनचाहे ही बिछड़ गए हैं हमसे...
सादर
अनु
बहुत सुन्दर है तारों का तिलस्म बधाई
ReplyDelete
ReplyDeleteवह रहनुमा -
जो भटके हुओं की होते हैं -
आखरी उम्मीद !------
बहुत सुंदर रचना
बिलकुल सटीक.
ReplyDeleteउम्दा ..उम्दा ..
ReplyDeleteवह रौशनी .... जो चाँद की कहानी सुनाये
ReplyDeleteवह रहनुमा -
ReplyDeleteजो भटके हुओं की होते हैं -
आखरी उम्मीद !
और थाम लेते हैं उँगली ....
लाजवाब प्रस्तुति
सादर