Wednesday, March 27, 2013

परिभाषाएं - (२ )




तारे

वह तिलिस्म -
जो सारी दूरी मिटा देते हैं -
धरती और आकाश के बीच !

वह रहनुमा -
जो भटके हुओं की होते हैं -
आखरी उम्मीद !

वह अपने -
जो आशिश्ते हैं -
अपने से दूर अपनों को !

20 comments:

  1. बेहतरीन सुंदर अभिव्यक्ति,,,
    आपको होली की हार्दिक शुभकामनाए,,,

    Recent post: होली की हुडदंग काव्यान्जलि के संग,

    ReplyDelete
  2. सुंदर अभिव्यक्ति,,,

    ReplyDelete
  3. सच है की अपनों को याद करने में ... उन्हें ढूँढने में ... बहुत मदद करते हैं ये तारे ...

    ReplyDelete
  4. सहृदय मन की सुन्दर अभिव्यक्ति .....!!

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति । आपको और आपके पूरे परिवार को रंगों के त्योहार होली की शुभ कामनाएँ

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर।।
    पधारें कैसे खेलूं तुम बिन होली पिया...

    ReplyDelete
  7. ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सब को सपरिवार होली ही हार्दिक शुभकामनाएँ !
    आज की ब्लॉग बुलेटिन होली के रंग, स्लो नेट और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  8. बहाने हैं ये तारे ...की कोई है करीब अब भी.
    सुन्दर परिभाषाएं

    ReplyDelete
  9. वह रहनुमा -
    जो भटके हुओं की होते हैं -
    आखरी उम्मीद !

    जिस पर टिकी है पूरी कायनात .
    सुन्दर परिभाषा

    ReplyDelete
  10. तारे... जो किसीके ना होने पर भी उनके होने का अहसास दिलाते हैं... सटीक परिभाषाएं

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर सरस जी.....
    तारे- वह रहनुमा -
    जो भटके हुओं की होते हैं -
    आखरी उम्मीद !

    और तारे वो मंजिल भी है-जो मिला देते हैं हमारे अपनों से,जो अनचाहे ही बिछड़ गए हैं हमसे...
    सादर
    अनु

    ReplyDelete
  12. बहुत सुन्दर है तारों का तिलस्म बधाई

    ReplyDelete

  13. वह रहनुमा -
    जो भटके हुओं की होते हैं -
    आखरी उम्मीद !------
    बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete
  14. उम्दा ..उम्दा ..

    ReplyDelete
  15. वह रौशनी .... जो चाँद की कहानी सुनाये

    ReplyDelete
  16. वह रहनुमा -
    जो भटके हुओं की होते हैं -
    आखरी उम्मीद !
    और थाम लेते हैं उँगली ....
    लाजवाब प्रस्‍तुति

    सादर

    ReplyDelete