चाँद -
सपनों की वह दुनिया
जहाँ कहानियाँ बुनी जाती हैं -
और कते हुए सूत के छोर से बंधी
हम तक पहुँच जाती हैं ...
वह हमदर्द !
जो हर तड़प से वाकिफ़ है
जो हर उस हिचकी की वजह जानता है
जो विरह के रुदन से उठती है .....
वह क़ासिद !
जिससे सबको उम्मीद है
की हर हाल में , मेरा पैगाम
वह माहि तक पहुंचा ही देगा .....
वह दाता !
जिससे हर सुहागन
कुछ साल उधार माँगती है
कि उसका सुहाग बना रहे .....
वह दानवीर !
जो देता है , देता जाता है
इस दर्जा कि खुद रीता हो जाता है
लेकिन दुआओं के असर से फिर बढ़ जाता है
जो एवज में मिलतीं हैं उसे ....
वो एक...हमदर्द, कासिद, दानवीर... जाने क्या क्या... सबकी चाहत... देव भी और रोटी भी... सुन्दर रचना, बधाई.
ReplyDeleteचाँद,वो हमदर्द,वो कसीद,वो दाता ,वो दानवीर....
ReplyDeleteसभी को परिभाषाओं में बांधना कठिन....
बहुत सुन्दर ..
सादर
अनु
सुन्दर परिभाषाएं.
ReplyDeleteबधाई हो आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज के ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकशित की गई है | सूचनार्थ धन्यवाद |
ReplyDeleteपरिभाषाओं की परिधि पर मुस्काता चाँद..
ReplyDeleteवह हमदर्द !
ReplyDeleteजो हर तड़प से वाकिफ़ है...
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चाँद का दिलचस्प किस्सा ...
बहुत खूब ... चाँद को अलग अलग एंगल से देखा है आपने ...
ReplyDeleteगहरा अर्थ किये हैं सभी ...
बहुत बढ़िया -
ReplyDeleteशुभकामनायें आदरेया -
ओ चाँद ....तू तो मेरा अपना है .....हर तरह से ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर परिपक्व परिभाषाएं सरस जी .......
चंद को एक पूर्णता दे रहीं हैं ...!!
बहुत ही बढियां प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteसपनों की वह दुनिया
ReplyDeleteजहाँ कहानियाँ बुनी जाती हैं -
और कते हुए सूत के छोर से बंधी
हम तक पहुँच जाती हैं ...
बेहतरीन ....आकर्षक शब्द,सुन्दर ख़याल और सरल बयानगी
जैसे परिभाषाओं का यह सिरा सब को एक दूसरे से जोड़े रखता है ...
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति
चाँद तो एक है,लेकिन सबका देखने का अपना नजरिया है ,,,
ReplyDeleteRecent Post: सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार,
चाँद कभी एक सा नहीं रहता ....और आपने तो इसे कितनी ही परिभाषाओं में बाँध दिया ...वाह ..बहुत सुंदर
ReplyDeletechand ko bilkul alag tareeke se dekha aapne
ReplyDeleteChaand ek aur uske alag-alag kai roop kai arth........! bahut khoobsurti se aapne chaand se parichay karvaya hai, vakai!
ReplyDeleteशानदार बहुत खूब
ReplyDeleteवही हमदर्द बनता है कभी कसीद बन जाता है
वही दाता बन जाता है वही फिर दान दाता है
unpredictable so nice thought
सुंदर रचना, बेहतरीन अभिव्यक्ति !
ReplyDeletebhavpoorn rachana ke sath sundar prastuti ke liye badhai .
ReplyDeleteबहुत सुंदर .... हर परिभाषा सोचने पर विवश करती हुई
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