देती हैं साथ
रौशनी में ही सिर्फ
परछाइयाँ
कहलाती हैं
सच्ची दोस्त फिर भी
परछाइयाँ
तेज धूप में
सिकुड़ जाती हैं ये
परछाइयाँ
पर फैलती
सुबह शाम यह
परछाइयां
दुःख में कम
सुख में अधिक ये
परछाइयाँ
कहलाती हैं
हमदर्द फिर भी
परछाइयां
छूना चाहो तो
हाथ नहीं आती ये
परछाइयाँ
साथ होने का
दावा क्यों करती ये
परछाइयाँ
adbhut soch ...
ReplyDeletebahut sundar haiku ...
shubhkamnayen Saras ji ..
सचमुच बहुत सुंदर प्रसंसनीय हाइकू,,,,सरस जी बधाई,,,
ReplyDeleteRECENT POST,तुम जो मुस्करा दो,
खेलती हैं संग मेरे परछाइयां
ReplyDeleteआंखमिचौली में गुम होती परछाइयां
अपनी लगती हैं ये परछाइयां
जाने कितनी आकृतियाँ दे जाती हैं परछाइयां
....साथ होने का
ReplyDeleteदावा क्यों करती ये
परछाइयाँ
सही सवाल..
.जब अँधेरे में साथ छोड़ जाती है,परछाइयां
अंधेरे में ये
ReplyDeleteसाथ छोड़ देती हैं
परछाइयाँ
खूबसूरत हाइकु
छूना चाहो तो
ReplyDeleteहाथ नहीं आती ये
परछाइयाँ
साथ होने का
दावा क्यों करती ये
परछाइयाँ
beautiful :) :)
सुना है दुःख में
ReplyDeleteसाथ छोड़ जाती है
परछाइयाँ...
बहुत सुंदर हाइकू...
बहुत खूब ... ये परछाइयां ...
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत हाइकू हैं सभी इन परछाइयों के साथ ...
खूबसूरत परछाईया
ReplyDeleteदुःख में कम
ReplyDeleteसुख में अधिक ये
परछाइयाँ
कहलाती हैं
हमदर्द फिर भी
परछाइयां
bilkul sch aur sateek ....badhai saras ji
सभी सुन्दर हैं....परछाईंयां
ReplyDeleteखूबसूरत ...परछाईयाँ
ReplyDeletehar hal men khoobsurat hoti hai ye parcchaiyan ...
ReplyDeleteछूना चाहो तो
ReplyDeleteहाथ नहीं आती ये
परछाइयाँ
साथ होने का
दावा क्यों करती ये
परछाइयाँ
वाह ... बेहद सशक्त पंक्तियां ...आभार
छूना चाहो तो
ReplyDeleteहाथ नहीं आती ये
परछाइयाँ
साथ होने का
दावा क्यों करती ये
परछाइयाँ...
.....खूबसूरत परछाईया!
Superb!!
ReplyDeletehar ek haiku behtreen hai!!
कमाल का हाइकू लिखती हैं आप..
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