Sunday, September 23, 2012

हाइकू -दिया


छोटासा  दीया  
निस्वार्थता का बिम्ब 
कहाया सदा 

नन्हा सा दीया 
समेट तिमिर को 
उजाला किया 

ज़रा सा दीया 
प्रेम संकेत बन 
हमेशा जिया 

माटी का दीया  
सबल आस बन 
आंधी से लड़ा 

प्यारा सा दीया 
उगा द्वारे हुलास 
रिझाय लिया

17 comments:

  1. रिझाती हुई ....हुलसाती हुई सुन्दर प्रस्तुति ....!!
    बहुत सुन्दर हाइकु ...!!

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  2. शब्दों का बेजोड़ समन्वय ..सुन्दर रचना

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  3. मोम का दिया
    खुद को मिटा कर
    जगमगाया
    :-)
    बहुत सुन्दर सरस जी.....
    सादर
    अनु

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  4. दिए की लौ से प्रज्ज्वलित दीपशिखा सी रचना , बधाई|

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  5. माटी का दीया
    सबल आस बन
    आंधी से लड़ा .....aur jeet bhi gaya .....

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  6. मुकीम भारती छत्तीसगढ़ के कविता के लाइन आपको समर्पित
    बने बाती सा यह तन मेरा
    रहे तेल जैसा जीवन मेरा
    जलू और जग को प्रकाश दूँ
    दिए जैसा हो जीवन मेरा
    बलिदान की मेरी डगर
    यही मांगता हूँ मैं तुझसे वर
    beautiful lines withgreat feelings

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  7. बहुत बहुत सुन्दर हाइकु ..आभार..

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  8. wakai ...aapkii prastuti ne rijha liya... bahut sundar haiku likhe hain saras ji!

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  9. सभी बहुत ही सुन्दर लगे।

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  10. दिया की कहानी बाती की जबानी बड़ी भाई . प्रेम का संकेत ले प्रकाशित करता जग को भले ही मिटटी का बना . बहुत सुन्दर हाइगा .

    please spam out previous comment

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  11. माटी का दीया
    सबल आस बन
    आंधी से लड़ा ...उससे सीखना हमारा लक्ष्य हो, और प्रतिकूल में अनुकूल जीत हो

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  12. सभी हाइकू जबरदस्‍त ... किसी एक की तारीफ़ दूसरे के साथ नाइंसाफी होगी

    सादर

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  13. माटी का दीया
    सबल आस बन
    आंधी से लड़ा

    ...बहुत खूब! सभी हाइकु लाज़वाब...

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  14. माटी का दीया
    सबल आस बन
    आंधी से लड़ा

    बढ़िया हाइकु ।

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