मिसेज शर्मा अपने मोटापे से बहुत परेशान थीं । अब
तक बेचारी सारी तरकीबें आज़मा कर थक चुकी थीं। शायद ही कोई सलाह, कोई सुझाव उन्होने
छोड़ा हो। शायद ही कोई नुस्खा हो जो उन्होने न आज़माया हो। किसी ने कहा मिसेज शर्मा आपने कुनकुने पानी में
नीबू और शहद डालकर पिया है? बहुत फायदा करता है । मेरी तो पेट की चर्बी उसीसे
कम हुई । पूरे 6 महीने से पी रही हूँ । आँखों में चमक लिए उन्होने नीबू पानी शहद पिया पर घबराहट और कँपकँपी शुरू हो गई। बेचारी
फिर भी पीती रहीं, जब तबीयत बिगड़ने लगी , तो हारकर छोड़ दिया।
दिनभर इंटरनेट
खोलकर दुबले होइने के नुस्खे ढूँढा करतीं । वहाँ तो जैसे बाढ़ ही आई हुई थी । हर कोई
आपकी दुखती रग पर हाथ रख रहा था और नए नए उपाय बता रहा था , इस दावे के साथ
की यह तो रामबाण नुस्खा है , अगर आपने इसे ट्राइ नही किया, तो कुछ नहीं किया। इतने
लोगों को इससे फायदा हुआ है । सुनिए उन्हीकी जुबानी । लगा जैसे सारी वेबसाइटस के लिए
आपका मोटापा एक गंभीर मुद्दा है , और सब ही आपकी सहायता करने को तत्पर हैं।
बेचारी हर वह नुस्खा आज़माती जो उनके वश में होता पर
मोटापा टस से मस नहीं होता।
एक दिन एक पुरानी सहेली से मौल में टकरा गईं ।
लग तो वह सुधा ही रही है , पर इतनी दुबली
छरहरी , वह तो मुझसे बीस ही थी ...उन्होने मन ही मन सोचा ।
"अरे निशि मैं हूँ सुधा, पहचाना नहीं ।"
मिसेज शर्मा को विश्वास नहीं हुआ । "सुधा अरे
यार तुम तो पहचान में नहीं आ रहीं । इतनी दुबली कैसे हो गईं तुम। हमें भी तो बताओ ।
कितनी चार्मिंग लग रही हो" मिसेज शर्मा के सीने पर उसे देख साँप लोट रहा था ,
पर चेहरे
पर कैसे ज़ाहिर होने देतीं ।
"अरे यार यह काया पलट कैसे हुई । हमें भी राज़
बताओ ।"
"अरे यार निशि मैंने डाँस शुरू कर दिया है। मुझे
किसीने बताया की डाँस करने से वज़न घटता है। बस रोज़ एफ़एम
रेडियो बजाकर , 2 घंटे वही करती हूँ।"
"तुझे अटपटा नहीं लगता"
"अरे कमरा बंद कर लेती हूँ अंदरसे और क्या
...! सबसे कह रखा है , एक्सर्साइज़ कर रही हूँ, कोई डिस्टर्ब न
करे।"
उसके बाद सुधा ने क्या कहा , मिसेज शर्मा ने
नहीं सुना । उनके दिमाग में खलबली शुरू हो गई थी ।
घर पहुँचकर जल्दी जल्दी काम निबटाये और पूरी तैयारी
के साथ कमरे में बंद हो गईं ।
बहुत मज़ा
आया। वह अपने आप को हवा सा हल्का महसूस कर रही थीं । बहुत बढ़िया रहा यह सेशन। यार सुधा
तू पहले क्यों नहीं मिली।
अगले दिन पूरा बदन पके फोड़े से टीस रहा था। हाथ पैर
हिलाये नहीं जा रहे थे। उनकी तो रुलाई छूट
गई । जितना चल फिर पा रही थीं, वह भी बंद हो गया ।
अगर उन्होने सुधा की पूरी बात ध्यान से सुनी होती
तो इतनी निराश न होतीं ।
उसने ठोक बजाकर कहा था, एकदम से शुरू मत
कर देना , पहले कुछ दिन आधा घंटा करना फिर धीरे धीरे बढ़ाना । और हाँ पहले कुछ दिन शरीर
में दर्द भी बहुत होगा पर घबराकर छोड़ मत देना ।
पर उस वक़्त मिसेज शर्मा की आँखों में सितारे नाच रहे
थे , हवा से हल्की हूँ मैं , की धुन दिमाग में गूँज रही थी ।
एक दिन कई दिनों बाद उनके पति के एक मित्र घर पर मिलने
आए।
"अरे भाईसाहब आप इतने दुबले कैसे हो गए।"
"क्या बताएँ भाभीजी डाइबेटीज़ हो गई," उन्होंने
मायूसी से कहा।
"क्या डाइबेटेज होने से दुबले हो जाते हैं
...!"
"हाँ भाभीजी इसमें जो दवाइयाँ खाई जाती है,
उससे वज़न
कम हो जाता है।"
मिसेज शर्मा की आँखों में फिर सितारे चमकने लगे ।
डाइबीटीज...!!!
फिर एक नया शगल शुरू हो गया।
"काश मुझे डाइबीटीज हो जाए। फिर तो मैं भी दुबली
हो जाऊँगी।"
एक दिन अपने पति से बोलीं , "ए सुनो ,
हमारे लिए
भी वह दवा ला दो न जिसे खाने से दुबले हो जाते है।"
"तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया। जानती
हो कितनी बुरी बीमारी होती है। ऐसा क्या पागलपन सवार है तुमपर। हद कर दी तुमने तो।"
"दुबला होना है तो आलू चावल बंद करो और ब्रिस्क
वॉक करो । तभी दुबली होगी। और वह तो तुम्हें जान से प्यारा है। वह तुमसे छूटेगा नहीं।"
अब तो बस उठते बैठते एक ही धुन सवार थी । काश मुझे
डाइबीटीज हो जाए ।
वह कहते हैं न की अगर शिद्दत से कोई चीज़ चाहो तो पूरी
कायनात .......
रूटीन ब्लड टेस्ट करवाया तो उसमें शुगर बढ़ी हुई निकली।
भारी मन से शर्मा जी ने उन्हें बताया कि तुम्हें डाइबीटीज
हो गई है"
"डाइबीटीज..!" मिसेज शर्मा .खुशी से चीख़ीं, मानो उनके नाम
मिस यूनिवर्स का खिताब घोषित हुआ हो ।
अब तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था।
दवाई भी शुरू हो गई। रोज़ सुबह उठकर पहले वजन लेतीं।
कुछ दिन तो वास्तव में वज़न घटा। बगैर किसी मेहनत के ७३ किलो से 70 किलो हो गया । वह
बहुत खुश थीं। पर फिर धीरे धीरे सुई ने नीचे जाना बंद कर दिया। अब वह निरंतर बढ़त की
ओर अग्रसर थी। उन्होने सोचा शायद मशीन सही जगह नहीं रखी। उन्होने तीन चार जगह बदल बदलकर
वज़न लिया , पर वज़न जितना है , उतना ही तो आयेगा ।
मशीन कि सुई ने भी मानो ठान लिया था, कि अब चाहे जो
हो जाए , नीचे तो नहीं जाना है।
इस बीच मिसेज शर्मा की सारी पसंदीदा चीज़ें छूट चुकीं
थीं । आलू और आलू से जुड़ी हर वह चीज़ जिसमें उनके प्राण बसते थे, समोसा, मसाला डोसा ,
चाट,
सब कुछ ।
बेचारी मरतीं क्या न करतीं। इस गुनाह बेलज्जत से लिपटकर
रोने के अलावा कोई और चारा भी तो नहीं था।
सरस दरबारी
अरे व्यंग्य तो पहली बार पढ़ रही हूँ । बहुत बढ़िया लिखा।
ReplyDeleteरेखा श्रीवास्तव
फेसबुक पर पढ़ा था आपका ये व्यंग्य लेखन ।
ReplyDeleteफिर से पढ़ने में उतना ही आनंद आया ।
बढिया :)
ReplyDeleteवाह!बेहतरीन ।
ReplyDeleteहा हा हा हा
ReplyDeleteबढ़िया और कंटीली रचना
सादर नमन
आदरणीया मैम, एक यथार्थपूर्ण समस्या पर आधारित बहुत ही हास्यास्पद व्यंग्य पढ़ कर आनंद आया । सच तो यह है कि हर एक व्यक्ति को अपने आप से प्रसन्न रहना चाहिए और केवल अपने स्वास्थ्य का अच्छा ध्यान रखना चाहिए । वैसे भी ये संसार सुंदर इसीलिए है कि यहाँ हर एक व्यक्ति एक दूसरे से अलग है और अपने आप में विशेष है । क्यूँ पड़ना मोटे -पतले के चक्कर में ?
ReplyDeleteहृदय से आभार इस सुंदर रचना के लिए। बहुत हँसी आई। हृदय से आभार व आपको प्रणाम ।
हा हा हा, आपबीती है या निकटबीती?
ReplyDelete😂😂😂👌👌 बहुत खूब सरस जी। मिसेज शर्मा की मोटापे ने क्या गत बनाई और क्या क्या ना करवाया😂😄 लेकिन डायबिटीज से पीड़ित होना उनका ज़रा ना भाया। बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं इस व्यंग के लिए।
ReplyDeleteवाह ! मजेदार। मोटे होने के बाद पतले होने के लिए इंसान क्या क्या नहीं करता !!!
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