अच्छा लगता है मुगालतों में जीना
उन एहसासों के लिए
जो आज भी धरोहर बन
महफूज़ हैं कहीं भीतर -
उन लम्हों के लिए
जो छूट गए थे गिरफ्त से ...
जिए जाने से महरूम ...
लेकिन आज भी
उतनी ही ख़ुशी देते हैं !
उन यादों के लिए
जो आज भी जीता रखे हैं
उन अंशों को
जो चेहरे पर उभर आयी मुस्कराहट
का सबब बन जाते हैं ...
हाँ ...मुग़ालते अच्छे होते हैं ...!!!!!
जीने के लिए ज़रूरी है कुछ भ्रम बने ही रहे!
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति.
दिल के खुश रहने को,ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है.....
ReplyDeleteसुन्दर रचना है दी...
सादर
अनु
inhe mugalata kahen ya swabhimaan hamen inhe bakarakaraar rakhana chahiye
ReplyDeleteजब तक वो चेहरे पर मुस्कान दे जाए..फिर मुगालते हुए तो क्या ..
ReplyDeleteबहुत से मुगालते पाले रहते हैं हम , जीना आसान हो जाता है ...
ReplyDeleteकुछ दाग की तरह कुछ मुगालते भी अच्छे होते हैं :)
ReplyDeleteभावो का सुन्दर समायोजन......
ReplyDeleteखूबसूरत
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
ReplyDeleteअति सुन्दर
ReplyDeleteमुगालते..जीवन की कठिन रहा को कुछ आसान बना देते हैं .
ReplyDeleteसुन्दर रचना
हाँ ...मुग़ालते अच्छे होते हैं .....
ReplyDelete