राधा के महावरी पांवों को-
माधवने माथे धारा था
तब रुक्मिणी औए सत्यभामा से भी
ऊँचा स्थान दे डाला था -
राधा फिर भी आशंकित सी
कान्हा का प्रेम परखती थी -
जबकि कान्हा ने भक्ति में -
अपना सर्वस्व दे डाला था
है भक्तों को पाना मुझको
तो राधा नाम का स्मरण करें -
भक्ति होगी फलदायक तब
मुझसे पहले उसे नमन करें -
जिसको कहती निर्मोही वह
उसने यह वचन निभाया था -
कान्हा से पहले भक्तों ने
राधा का नाम पुकारा था .
जिस प्रकार सूर्य है कांतिहीन
जब किरणें पास नहीं उसके -
वैसे माधव अस्तित्वहीन
जब राधा साथ न थी उनके
इस दैवी निश्छल प्रेम का अर्थ
भक्तों से सदा अनजाना था -
इस अन्तरंग शक्ति को अपनी
माधवने सर्वस्व दे डाला था .
बहुत सुंदर भाव अभिव्यक्ति,,,
ReplyDeleteश्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें,सादर!
RECENT POST : पाँच( दोहे )
जिस प्रकार सूर्य है कांतिहीन
ReplyDeleteजब किरणें पास नहीं उसके -
वैसे माधव अस्तित्वहीन
जब राधा साथ न थी उनके
बहुत ही भक्तिपूर्ण ख़ूबसूरत रचना
" अनुखन माधव माधव सुमिरियत सुन्दरि भेलि मधाई । या गुण रुप सुभावहिं बिसरल अपनेहुँ गुन लुब्धाई । " सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteजिस प्रकार सूर्य है कांतिहीन
ReplyDeleteजब किरणें पास नहीं उसके -
वैसे माधव अस्तित्वहीन
जब राधा साथ न थी उनके
सच ही राधा के बिना कृष्ण कहाँ ... बहुत सुंदर प्रस्तुति
बहुत खुबसूरत भाव से ओत प्रोत रचना
ReplyDeletelatest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें......राधा और कृष्ण का अनुपम प्रेम ........खुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteश्री कृष्णजन्मोत्सव की हार्दिक बधाई
ReplyDeleteHE MRISHN GOVIND HARE MURARE
ReplyDeleteHE NAATH NARAYAN WASUDEW
यह राधा-भाव ही कृष्ण में लीन होने की सामर्थ्य देता है!
ReplyDelete♥ जय राधे ♥ जय श्री कृष्ण ♥
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♥ जय राधे ♥ जय श्री कृष्ण ♥
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां और शुभकामनाएं !
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है भक्तों को पाना मुझको
तो राधा नाम का स्मरण करें -
भक्ति होगी फलदायक तब
मुझसे पहले उसे नमन करें -
वाऽहऽऽ…!
आपने तो कृष्ण को पाने का रहस्य बता दिया...
आभार आदरणीया सरस जी
सुंदर मनभावन रचना के लिए साधुवाद
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मंगलकामनाओं सहित...
राजेन्द्र स्वर्णकार
हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteराधा है तो कृष्ण हैं ... कृष्ण है तो राधा ...
ReplyDeleteइस आलोकिक प्रेम को उनके जैसा हो के ही समझा जा सकता है ...
बहुत खूब
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें...
ReplyDeleteजिस प्रकार सूर्य है कांतिहीन
ReplyDeleteजब किरणें पास नहीं उसके -
वैसे माधव अस्तित्वहीन
जब राधा साथ न थी उनके
bhakti se sarabor ..:)
Bahut khoob!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...कोटिशः बधाई।।।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना.. राधा का स्थान तो सर्वोपरि है , कृष्ण राधा से विलग नहीं .
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