Sunday, August 4, 2013

शतरंज



कितना खूबसूरत खेल,
सबकी परिधि तय-
सबकी चालें परिभाषित-
ऊंट टेढ़ा चलता है-
हाथी सीधा-
घोड़ा ढाई घर
और प्यादे की छलांग बहुत छोटी
सिर्फ एक खाने भर की
और शातिर दिमाग इन्ही चालों से
तय करते हैं
अंजाम खेल का ..!
काश ! यह खेल तक ही सीमित रहता ..
लेकिन अब
यह जीवन शैली बन गया है -
और जीते जागते इंसान
बन गए हैं मोहरें -
सत्ता करती है सुनिश्चित
किसे हाथी बनाना है
और किसे ऊंट या घोडा...
और आम आदमी
उनकी चालों से बेखबर
उनकी बिछायी बिसात पर
उनकी शै और मात का बायस बन जाता है ...!!!!

                   

13 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार।

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  2. बहुत प्रभावी ... आज का सार्थक चित्रण शतरंज के बिम्ब के साथ ...
    लाजवाब रचना ...

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  3. शतरंज के बिम्ब के साथ बहुत ही सुन्दर और प्रभावी प्रस्तुति,

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  4. सटीक विश्लेषण!

    काश! स्थिति बदले!

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  5. शंतरज हमेशा से राजनीति को परिभाषित करता है बहुत सुन्दरता से पिरोया है आपने सभी प्यादों को |

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  6. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए बुधवार 07/08/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  7. सत्य ही। ईश्वर के हाथ के मोहरे होने से इनकार करे , मगर इंसान खुद बैठे है सारी चाले हाथ लिए !

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  8. सरस दरबारी जी आपने आज के जीवन में रच बस गए राजनैतिक खेल को बहुत ही सीधे सादे सरल और सहज तरीके से शतरंज के शह और मात से समझा दिया गजब का बांकपन लिए अनुभूति

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  9. सुन्दर ,सटीक और प्रभाबशाली रचना। कभी यहाँ भी पधारें।
    सादर मदन
    http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
    http://saxenamadanmohan.blogspot.in/

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  10. आम आदमी
    उनकी चालों से बेखबर
    उनकी बिछायी बिसात पर
    उनकी शै और मात का बायस बन जाता है ...!!!!
    सार्थकता लिये सटीक अभिव्‍यक्ति

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  11. सटीक और मौजू

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  12. सत्ता करती है सुनिश्चित
    किसे हाथी बनाना है
    और किसे ऊंट या घोडा...
    और आम आदमी

    शतरंज के माध्यम से राजनीति का सुंदर विश्लेषण ... यथार्थ को कहती सटीक रचना ।

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