काश !
वह शब्द -
जो एक तिलस्मी दुनिया से
बड़ी बेरहमी से घसीटकर
सच की ज़मीन पर
ला पटकता है ..
और हम -
छितरे हुए अरमानों को समेट-
एक और मौके की बाट जोहते
इंतज़ार की लम्बी खोह में
रौशनी तलाशते रह जाते हैं
ज़िन्दगी भर .....!
अहसास !
रुई के वे नर्म फाये !
जो हमदर्द बन
सोख लेते हैं -
हर दर्द....
हर आंसू....
हर ख़ुशी .....
और बन जाते हैं सौगात-
जीवन भर के ...!
रुखसती !
वह अहसास
जो पर्त दर पर्त -
छीलता जाता है
लम्हें ...
यादें.....
खुशियाँ....
और उधेढ़ देता है वह सच
जो जज्बातों की तह में
छिपा रखे थे
अब तक ....!
बेहद सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति :) | बधाई और आभार
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत सुन्दर प्रस्तुति बधाई ...
ReplyDeleteवाह सरस जी.....
ReplyDeleteकोमल एहसासों को कितने नर्म लफ़्ज़ों से सजाया है...
बहुत सुन्दर..
सादर
अनु
रुई के वे नर्म फाये !
ReplyDeleteजो हमदर्द बन
सोख लेते हैं -
हर दर्द....
हर आंसू....
हर ख़ुशी .....
और बन जाते हैं सौगात-
जीवन भर के ...!
भावमय करते शब्द ... बेहतरीन प्रस्तुति
आभार
शब्दों को सार्थक करती संक्षिप्त रचनाएं ....
ReplyDeleteबहुत लाजवाब ...
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-02-2013) के चर्चा मंच-1165 पर भी होगी. सूचनार्थ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर क्षणिकाएं
ReplyDeletelatest postमेरे विचार मेरी अनुभूति: मेरी और उनकी बातें
बेहद भावपूर्ण सुंदर क्षणिकाए,,,,
ReplyDeleteRecent post: गरीबी रेखा की खोज
सुंदर, भावपूर्ण क्षणिकाएँ....
ReplyDelete~सादर!!!
बेहतरीन क्षणिकाएँ!
ReplyDeleteसादर
बेहतरीन क्षणिकाएं.... अंतिम सबसे ज्यादा पसंद आई
ReplyDeleteसुन्दर क्षणिकाएं.
ReplyDeleteसुन्दर और भावपूर्ण क्षणिकाएं
ReplyDeleteबहुत उम्दा पंक्तियाँ ..भाव पूर्ण रचना ... वहा बहुत खूब
ReplyDeleteमेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
सार्थक, संक्षिप्त परन्तु प्रभावशाली रचनाएं.
ReplyDeleteयह आपकी सबसे अच्छी कविताओं में से एक साबित होगी।
ReplyDeleteवह अहसास
ReplyDeleteजो पर्त दर पर्त -
छीलता जाता है
लम्हें ...
यादें.....
खुशियाँ....
और उधेढ़ देता है वह सच
जो जज्बातों की तह में
छिपा रखे थे
अब तक ....!
बहुत सुन्दर
नई पोस्ट
रूहानी प्यार का अटूट विश्वास
waah bahut acchi prastuti .......touching...
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletePLEASE CHECK SPAM
ReplyDeleteएक अलग अहसास कराती हुई ...
ReplyDeleteदिल को छु गयी रचना ...
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ReplyDeleteअहसास !
रुई के वे नर्म फाये !
जो हमदर्द बन
सोख लेते हैं -
हर दर्द....
हर आंसू....
हर ख़ुशी .....
और बन जाते हैं सौगात-
जीवन भर के ...!
हम ज़िन्दगी भर इसी काश के एहसास के साथ जी भी लेते हैं और दर्द भी पाल लेते हैं। और रही बातें एहसास की तो *** वह ह्रदय नहीं है पत्थर है जिसमें बहती रस धार नहीं **** कुल जमा एहसास हीन साँसों की गिनती? आपने लिखी रुखसती ये भर सहा नहीं जाता मिलाना मिलना ठीक है रुखसत होना बुरा लगता है . आपकी सभी रचनाएँ बहुत ही सुन्दर लाजवाब।
वह अहसास
ReplyDeleteजो पर्त दर पर्त -
छीलता जाता है
लम्हें ...
यादें.....
खुशियाँ....
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आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ .. निश्चित तौर पर बार-बार आता रहूँगा ..एकदम मेरी पसंद का ब्लॉग ..
बहुत उम्दा!!
ReplyDeleteये यादें अजीब हैं ...
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