दुनिया में अजीबो गरीब दोस्त मिले
कोई हमशाख बने ...
कोई हमसोज़ बने ...
किसीने ग़मों को बांटा , अपना समझा -
किसीने दोस्ती में ज़ख्म बेशुमार दिए
कोई खिड़की की चौखट कभी हमसोज़ बनी
कभी चाँद तारों के झुरमुट ने ख्वाबगाह दिए
रिसते पानी के चंद कतरों ने
कभी हथेली पे सजाने को कई ख्वाब दिए
हलके झोके से गिरे शाख के नर्म फूलों ने
टूटकर हँसने के गुर न जाने कितनी बार दिए
और चप्पू से छिड़ी सतह की उन लहरों ने
बींधे जाने पे हँसने के सबब सौगात दिए
यही हमसोज़, यही हमशाख, मेरे हमराज़ यही
इन्हिने पीर सही ..दर्द जब ज़माने ने दिए ....!
रिसते पानी के चंद कतरों ने
ReplyDeleteकभी हथेली पे सजाने को कई ख्वाब दिए
हलके झोके से गिरे शाख के नर्म फूलों ने
टूटकर हँसने के गुर न जाने कितनी बार दिए
जिंदगी को जब भी मुस्कराना होता है तो वो कभी इन कतरों के बीच तो
कभी नर्म फूलों के टूटने पर हर लम्हा हमारे साथ खिलखिलाती है ...
सादर
कभी हथेली पे सजाने को कई ख्वाब दिए
ReplyDeleteहलके झोके से गिरे शाख के नर्म फूलों ने
टूटकर हँसने के गुर न जाने कितनी बार दिए
दोस्ती में ये सब चलता है ....
सच में दोस्ती के कई रंग ज़िन्दगी में देखने को मिल जाते है. पर हां ऐसे कुछ ही मिलते है ज़िन्दगी में जिनका जज्बा कुछ ऐसा हो जैसा कैफ़ी साब ने कहा था -
ReplyDeleteजितने कांटें बिछाना हो बिछा ले कोई
तेरी राहों से अलग होंगी ना राहें अपनी
गम न कर हाथ अगर तेरे कलम हो जाएँ
जोड़ देंगे तेरे बाजू में ये बाहें अपनी
(कैफ़ी आज़मी)
यही हमसोज़, यही हमशाख, मेरे हमराज़ यही
ReplyDeleteइन्हिने पीर सही ..दर्द जब ज़माने ने दिए ....!
बहुत सुंदर और गहन अलफाज़ .....
शब्द शब्द हृदय से जुड़ा हुआ लगा .....
उत्कृष्ट प्रस्तुति |
ReplyDeleteआभार ||
वाह...
ReplyDeleteहलके झोके से गिरे शाख के नर्म फूलों ने
टूटकर हँसने के गुर न जाने कितनी बार दिए.........
बहुत सुन्दर!!
सादर
अनु
मुहब्बत,दर्द,जज्बा,गम,मुझी को मिल गए सारे,
ReplyDeleteमगर उस महावश ने दिल ही पाया,वो भी पत्थर का,,?
Recent Post दिन हौले-हौले ढलता है,
जिंदगी में हर तरह का अनुभव जरूरी है .. ओर जिंदगी ये अनुभव देती है ... तभी तो धूप में बाल सफ़ेद होते हैं ...
ReplyDeleteजिंदगी में हर तरह का अनुभव जरूरी है .. ओर जिंदगी ये अनुभव देती है ... तभी तो धूप में बाल सफ़ेद होते हैं ...
ReplyDeleteजिंदगी ऐसे अनुभव देती है ... शायद तभी कहते हैं धूप मिएँ बाल सफ़ेद करना ...
ReplyDeleteदोस्ती की दुनियादारी में ये सब चलता रहता है,बहुत ही सुन्दर कविता.
ReplyDeleteबेहतरीन और शानदार।
ReplyDeleteदोस्ती का इन्द्रधनुष कई रंग दिखाता है.
ReplyDeletelatestpost पिंजड़े की पंछी
दोस्ती बहुत से रंग दिखाती है ..सच है.
ReplyDeleteयही हमसोज़, यही हमशाख, मेरे हमराज़ यही
ReplyDeleteइन्हिने पीर सही ..दर्द जब ज़माने ने दिए ....!
क्या बात है ....!!
यही है सच्ची दोस्ती .....:))
यही हमसोज़, यही हमशाख, मेरे हमराज़ यही
ReplyDeleteइन्हिने पीर सही ..दर्द जब ज़माने ने दिए ....!
आपकी बातों से सहमत .जो हमारे जज्बातों को समझे और मायने दे और दर्द की दवा बने वही हमारा अपना।आपकी आखरी दो लाइन ने आपके विश्वास को जतलाया .बेहद खुबसूरत वाह।
यही हमसोज़, यही हमशाख, मेरे हमराज़ यही
ReplyDeleteइन्हिने पीर सही ..दर्द जब ज़माने ने दिए ....!
सच्चे दोस्त का साथ हो तो हर दर्द आसानी से सहन हो जाता है ... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति... आभार
ऐसे ही दोस्त बनकर चलेंगे - कहिये आमीन
ReplyDeleteसच्चे दोस्त ही तो पीर बाँटते हैं...
ReplyDeleteअक्सर...जीने के नये बहाने देते हैं...
~सादर!!!
दोस्ती को रेखांकित करती सुन्दर पंक्तियाँ
ReplyDeleteदोस्त हर तरह के हों चाहे ...पर हर एक दोस्त ज़रूरी होता है :-)
ReplyDeleteसबसे प्यारी पंक्तियाँ
ReplyDeleteरिसते पानी के चंद कतरों ने
कभी हथेली पे सजाने को कई ख्वाब दिए...... सच्ची खुशी बस यही है।
दोस्ती की बहुत सुन्दर व्याख्या की है
ReplyDeleteसुन्दर रचना !
वाकई, यथार्थ सा है, बहुत सुंदर.
ReplyDeleteरामराम.
यही हमसोज़, यही हमशाख, मेरे हमराज़ यही
ReplyDeleteइन्हिने पीर सही ..दर्द जब ज़माने ने दिए ....!
यही हमारे दोस्त हमारी उदासियों के हिस्सेदार बने... बहुत भावुक रचना, बधाई.
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुरी
ReplyDeleteमेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
दोस्त तो बस दोस्त ही होते हैं , सच बात ।
ReplyDeletehar dost jaruri hai yaar
ReplyDeleteहलके झोके से गिरे शाख के नर्म फूलों ने
ReplyDeleteटूटकर हँसने के गुर न जाने कितनी बार दिए
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आह ... कितना सुन्दर ...