Sunday, December 9, 2012

नासूर




टीस सी उठती है जब रगों में दौड़ता है धुआँ
जो तुम्हारी सिगरेट से निकलता हुआ
मुझे हर पल, हर घडी अहसास दिलाता है
कि तुम्हारा शौक हमें दूर कर देगा ....

कभी यह धुआँ तुम्हारे पास होने का अहसास दिलाता था
तब नित नए आकार खोजा करती थी उसमें ...
लेकिन अब तो बस दिखती हैं -दो धँसी ऑंखें
तीन अंतहीन खोहों  वाला चेहरा .....

क्यों नहीं सुन पाते उस आवाज़ को
जब मन चीखता है हर कश की टीस से
क्यों नहीं देख पाते वह बेबसी
जो हर सिगरेट के जलने से बुझने तक -
अविरल बहती है मेरी आँखों से ....
क्यों तुम हो जाते हो इस कद्र खुदगर्ज़
कि मेरी तड़प तुम्हे दिखाई नहीं देती .....

ऐसा तो नहीं कि तुमसे कुछ छिपा हो -
उन मनहूस पलों में जब रूठे हो तुम मुझसे अकारण ही -
अनगिनत सिगरेट एक कतार से पीते हो .....
हथेलियों  को कोंचती हूँ मैं सुइयों से
कि भीतर कि टीस कुछ कम हो .....

हर कश से वह टीस नासूर बनती  जाती है
मेरा दिल ...मेरी आत्मा किसी खोह में धंसती जाती है
पुकारती हूँ हर बार बेबसी से लेकिन
मेरी आवाज़ तुम्हें छूकर गुज़र जाती है -
एक ही बार सही ....मुड़के तो देखा होता
इस पार से आती उस आवाज़ को जाना होता ....

सुनो !
अब भी नहीं हुई है देरी -
सूरज अब भी नहीं डूबा है
अब भी हवाओं में जीवन की महक बाक़ी है
आओ मिलकर कोई और सहारा खोजें
'यह सहारा ' तो जीवन  से बेवफाई है ...!

12 comments:

  1. काश सिगरेट का यह सच समझ आ जाए ... मन की टीस को दर्शाती सुंदर रचना

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  2. आपकी प्रस्तुति का भाव पक्ष बेहद उम्दा लगा । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।

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  3. कितना सच है ...काश! कि कोई अब भी समझ जाये .....
    'यह सहारा ' तो जीवन से बेवफाई है ...!
    अच्छे विचारों को शुभकामनायें !

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  4. जीवन के असली सहारे को कम ही समझ पाते हैं ... बस सिगरेट शराब के आवरण के पीछे बहाने लगाते हैं ...

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  5. bahut acche bhav mam ...man ki tis darshati hui..kavita

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  6. बहुत ही सटीक अभिव्यक्ति है काश ये बात सिगरेट पीने वाले समझ सकते

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  7. जीवन को यूँ धुएँ में उड़ाना...इस तरह फूंक डालना कहाँ की समझदारी...

    बहुत अच्छी रचना सरस जी...
    सादर
    अनु

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  8. यह सहारा'तो जीवन से बेवफाई है...!
    वाह!!!!!शानदार भावमय पंक्तियाँ !!
    recent post: रूप संवारा नहीं...

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  9. सुनो !
    अब भी नहीं हुई है देरी -
    सूरज अब भी नहीं डूबा है
    अब भी हवाओं में जीवन की महक बाक़ी है
    आओ मिलकर कोई और सहारा खोजें
    'यह सहारा ' तो जीवन से बेवफाई है ...!
    जीवन धुआ धुआ अपनी सच्चाई लेकर बेहतरीन भावों से भरी रचना बहुत ही खुबसूरत .

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  10. काश समझ पाते सब यह कि यह सहारा नहीं बल्कि ...
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .

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  11. आओ मिलकर कोई और सहारा खोजें
    'यह सहारा ' तो जीवन से बेवफाई है ...!
    बिल्‍कुल सच कहा है आपने इन पंक्तियों में ... बेहद सशक्‍त अभिव्‍यक्ति

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  12. बेहद सशक्‍त अभिव्‍यक्ति लाजवाब प्रस्तुति
    अरुन शर्मा
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