कितनी उर्वरा होती है वह ज़मीन -
जहाँ बोते हैं हम बीज
चिंताओंके ---
बेटे की बेरोज़गारी -
घर की दाल रोटी-
बेटी की शादी -
रिश्तों में अविश्वास-
किस्म किस्म के बीज.....
देखते ही देखते
एक जंगल खड़ा हो जाता है -
एक घना जंगल-
चिंताओंका -
एक चलता फिरता जंगल-....
हम सब उस बोझ को ढोकर-
घूमते रहते हैं -
दिनों ..महीनों..सालों ...
जंगल गहराता जाता है -
बोझ बढ़ता जाता है
और कंधे झुकते जाते हैं...
क्यों न हम काट छांटकर
तराश दें उसे
और जंगली बेतरतीब बोझ को
उतार फेंके -
हाँ -
चिंताएँ फिर उग आएँगी
उस उर्वरा ज़मीन पर !
लेकिन हर चिंता का समाधान है -
उसे सिर्फ खोजना है ...तराशना है....
और अपने बोझ को हल्का करते जाना है ....
इतना आसान तो नहीं ये जंगल काट फेंकना.सही औजार चाहिए और मेहनत और इच्छा शक्ति भी.
ReplyDeleteसोचने पर मजबूर करती रचना.
हर चिंता का समाधान है -
ReplyDeleteउसे सिर्फ खोजना है ...तराशना है....
और अपने बोझ को हल्का करते जाना है ....
सार्थकता लिये सशक्त पंक्तियां ... विचारणीय अभिव्यक्ति
सादर
क्यों न हम काट छांटकर
ReplyDeleteतराश दें उसे
और जंगली बेतरतीब बोझ को
उतार फेंके -
हाँ -
चिंताएँ फिर उग आएँगी
उस उर्वरा ज़मीन पर !
लेकिन हर चिंता का समाधान है -
उसे सिर्फ खोजना है ...तराशना है....
और अपने बोझ को हल्का करते जाना है ....
विवेकशील व्यक्ति सदा चिंताओं से मुक्त होने का प्रयास करेगा .बहुत ही सार्थक सन्देश देती पोस्ट बधाई स्वीकार करें
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteबहुत उम्दा, सार्थक सन्देश देती रचना बधाई स्वीकार करें....सरस जी,,,
ReplyDeleterecent post: रूप संवारा नहीं,,,
बिना समाधान के तो इस जंगल के बोझ को काटा - छांटा नहीं जा सकता ना... हाँ कोशिश जरुर की जा सकती है, इस बोझ से उबरने की...गहन भाव.. आभार
ReplyDeleteहाँ ये ऐसी खरपतवार है कि एक से अनेक होते देर नहीं लगती और फिर असली वनस्पति (प्रेम,संतोष,सुख...)पनप ही नहीं पाती..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जीवन दर्शन...
सादर
अनु
लेकिन हर चिंता का समाधान है -
ReplyDeleteउसे सिर्फ खोजना है ...तराशना है....
और अपने बोझ को हल्का करते जाना है ....
बहुत सुन्दर दर्शन
सुगढ़ माली बनने की ज़रूरत है ... गहन भाव लिए सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeletesakaratmak soch ko naman......
ReplyDeletesunder abhivykti
बहुत ही खूबसूरत चित्रण । धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत ही मर्मस्पर्शी और गहन पोस्ट ............बहुत अरसे से आपके अपने ब्व्लोग पर दर्शन नहीं हुए सरस जी।
ReplyDeleteबहुत उम्दा
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