Tuesday, April 8, 2014

दर्द ..




तक़दीर का वह बदरंग स्याह सा टुकड़ा
जो मुख़तलिफ़ रंगों में सदा ढलता है
कभी ममता का रंग ओढ़कर वह
अपनी लाड़ो को विदा करता है
और कभी ओढ़कर फ़र्ज़ की चादर
भस्के रिश्तों के पैबंदों को सीता है
जब मोहब्बतों को पहन इतराता है
तोहमत-औ-ज़ुल्म के हर बोझ को वह ढ़ोता  है
तंग आ जाते जो ज़ीस्त की परेशानी से
थककर चूर हुए उस ज़हन को पनाह देता है  
 दर्द एक दोस्त भी है हमदर्द भी हमराज़ भी है
वह हर हाल में सिर्फ हमसे वफ़ा करता है ......!

13 comments:

  1. दर्द एक दोस्त भी है हमदर्द भी हमराज़ भी है
    वह हर हाल में सिर्फ हमसे वफ़ा करता है ..

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  2. बहुत ही सुन्दर रचना है सरस जी

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  3. बहुत ही बढिया.. सरस जी

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  4. दर्द हमदर्द भी है .. बहुत सुन्दर

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  5. चाहे हम कितनी ही बेवफाई क्यों न करे ..

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  6. दर्द तो जिंदगी का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो नित्य नए सीख देता है एक आगे बढ़ने की प्रेरणा भी .. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..

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  7. दर्द जीवन का सार है
    उससे बढ़कर कोई हमसफ़र नहीं

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  8. सही...बहुत सुन्दर ! !

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  9. दर्द एक दोस्त भी है हमदर्द भी हमराज़ भी है
    वह हर हाल में सिर्फ हमसे वफ़ा करता है ......!

    सही कहा है इसलिए दर्द को किसी का हमराज न बनाये
    ऐसा कहा जाता है , दर्द हमारा अपना है खरा है !

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  10. प्रभावी रचना।।।

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  11. वह हर हाल में सिर्फ हमसे वफ़ा करता है ......!

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  12. दर्द को हमदर्द कह सब कुछ कह दिया .

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