तक़दीर का वह बदरंग स्याह सा टुकड़ा
जो मुख़तलिफ़ रंगों में सदा ढलता है
कभी ममता का रंग ओढ़कर वह
अपनी लाड़ो को विदा करता है
और कभी ओढ़कर फ़र्ज़ की चादर
भस्के रिश्तों के पैबंदों को सीता है
जब मोहब्बतों को पहन इतराता है
तोहमत-औ-ज़ुल्म के हर बोझ को वह ढ़ोता है
तंग आ जाते जो ज़ीस्त की परेशानी से
थककर चूर हुए उस ज़हन को पनाह देता है
दर्द एक दोस्त भी है हमदर्द भी हमराज़ भी है
वह हर हाल में सिर्फ हमसे वफ़ा करता है ......!
दर्द एक दोस्त भी है हमदर्द भी हमराज़ भी है
ReplyDeleteवह हर हाल में सिर्फ हमसे वफ़ा करता है ..
बहुत ही सुन्दर रचना है सरस जी
ReplyDeleteबहुत ही बढिया.. सरस जी
ReplyDeleteदर्द हमदर्द भी है .. बहुत सुन्दर
ReplyDeleteचाहे हम कितनी ही बेवफाई क्यों न करे ..
ReplyDeleteदर्द तो जिंदगी का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो नित्य नए सीख देता है एक आगे बढ़ने की प्रेरणा भी .. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..
ReplyDeleteदर्द जीवन का सार है
ReplyDeleteउससे बढ़कर कोई हमसफ़र नहीं
सही...बहुत सुन्दर ! !
ReplyDeleteदर्द एक दोस्त भी है हमदर्द भी हमराज़ भी है
ReplyDeleteवह हर हाल में सिर्फ हमसे वफ़ा करता है ......!
सही कहा है इसलिए दर्द को किसी का हमराज न बनाये
ऐसा कहा जाता है , दर्द हमारा अपना है खरा है !
प्रभावी रचना।।।
ReplyDeleteलाजवाब भावपूर्ण रचना...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया
वह हर हाल में सिर्फ हमसे वफ़ा करता है ......!
ReplyDeleteदर्द को हमदर्द कह सब कुछ कह दिया .
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