सृजन करती हूँ
जब भी किसी कविता का -
खोजती हूँ उसे भीतर-
टटोलती हूँ यादों को -
कुछ लम्हों को-
कुछ मिठास -
कुछ कड़वाहटों को -
कुछ झकझोर देने वाले अहसासों को -
और पाती हूँ एक कविता
दुबकी हुई ..किसी कोने में
उसे सजा संवारकर
एक नया रूप , एक नई पहचान देती हूँ
और देखती हूँ उसे फलता फूलता ...!!!!
Kitni saraltase aapne apni rachanaki upaj bata dee!
ReplyDeleteहमारे अहसास ही रचनाएं हैं ...
ReplyDeleteकुछ लम्हे याद बन जाते हैं,
ReplyDeleteकुछ यादें अहसास बन जाती हैं...
इनसे जुड़े जज़्बात... दिल की आवाज़ बन जाते है...
और दिल की आवाज़ जो बहती काग़ज़ पर....
कविता बन जाती है... :-)
~सुंदर अभिव्यक्ति भाभी!:)
अनुभूत सत्य ही सृजन की सम्भावना होते हैं...!
ReplyDeleteफलती फूलती रहे कविता!
सुंदर अहसास ,सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteशब्द और भाव एहसाह से भर जाएँ ...सज संवार जाएँ तो बन जाये सुंदर कविता .......!!सुंदर सृजन सरस जी ....
ReplyDeleteयही मीठी खट्टी यादें सृजन करवा देती हैं .... सुंदर रचना
ReplyDeleteसुंदर भाव
ReplyDeleteअच्छी रचना
साधुवाद योग्य लाजवाब अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteऔर मिल जाती है ...यादों की प्यारी सौगात !
ReplyDeleteशुभकामनायें!
फलता फूलता और महकता.....
ReplyDeleteबहुत प्यारा सृजन
सादर
अनु
मन की भावनाओं का सुंदर सृजन,,,
ReplyDeleteRECENT POST : अभी भी आशा है,
सृजन की-- सार्थक,सुंदर परिभाषा गढ़ी है आपने
ReplyDeleteसादर
आग्रह है
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे--------
अपने भीतर से जो कोमल अहसास निकलती है वही सृजन है बहुत सुंदर ....
ReplyDeleteयूँ ही चलता रहे आपका सृजन अविरत. बहुत भावभीनी कवितायें होती हैं आपकी.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना..
ReplyDeleteसृजन का सुन्दर अहसास..
:-)
सच यही उद्गम है कविता का........सुन्दर।
ReplyDeleteखुबसूरत भावो की अभिवय्क्ति…।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ... बहुत सार्थक रचना ... हार्दिक बधाई ...
ReplyDeleteइसी तरह फलती फूलती है कवितायेँ सृजित भी !
ReplyDeleteक्या संयोग है अभी ही अजन्मी रह जाने वाली कविताओं का पक्ष भी पढ़ा !
सार्थक और भावप्रणव प्रस्तुति!
ReplyDeleteशब्द और रचना का उदय मन के भीतर कहीं गहरे में ही छिपा होता है ...
ReplyDeleteइस को खुद ही सृजित करना होता है ...
एक बच्चे की तरह होती है कविता, सही रूप देने के लिए गहरी संवेदनशीलता जरूरी होती है जो सबमें नहीं होती इसलिए हर व्यक्ति कवि नहीं हो पाता। जो हैं उनका सौभाग्य है।
ReplyDeleteदीदी कविता में शब्दों के साथ साथ सोच का तालमेल ही उसे अलग बनाता है ..आभार इतनी अच्छी कविता के लिए
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