Sunday, October 6, 2019

बिटिया मैके आय




देवी माँ का रूप धर, बिटिया मैके आय
तरस रहे जो दरस को ,देख देख अघाय

माटी की बिटिया सजी , पहन वस्त्र परिधान
अस्त्र शस्त्र से लैस , सजे  भाल अभिमान

जब तक रहती देहरी , पर्व मने दिन रात
खुशियाँ सब वाचाल हों , दुख हो भूली बात

जब विदाई की बेला , द्वार खड़ी हो जाय
कटता जाये हर जिया , घर में मातम छाय

बरसों की इस रीत को  कोई बदल न पाय
दो दिन बिटिया संग रह,लौट ससुर घर जाय
 
माटी से जीवन मिला , श्रद्धा प्राण जिलाय 
माटी की है देह यह,  माटी में मिल जाय     

सरस दरबारी



7 comments:

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 08 अक्टूबर 2019 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. सादर आभार यशोदा जी..😊😊

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  4. बहुत सुंदर पर्व है नवरात्रि, माँ में बेटी और बेटी में माँ को देखना.... भारतीय संस्कृति को नमन !
    माटी से जीवन मिला , श्रद्धा प्राण जिलाय
    माटी की है देह यह, माटी में मिल जाय
    गणेशोत्सव हो नवरात्र, अंत में मूर्तियों के विसर्जन की परंपरा जीवन की नश्वरता का कितना बड़ा सत्य उद्घाटित करती है ना !!!

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    1. हार्दिक आभार मीना जी ...:)

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  5. बहुत सुंदर भाव भक्ति पूर्ण सृजन।

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  6. हार्दिक आभार आपका ...:)

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