जा रहे हो दिसंबर..!
आओ
तुम्हें अंतिम बार गले लगा लूँ
निभ न सके जो वादे
उनका गम भुला दूँ
की जो गलतियाँ
उनपर ज़रा पछता लूँ
जो सुख के क्षण बिताए
उन्हें फिर दोहरा लूँ
जो पाए थे ज़ख्म
उनपर मलहम लगा लूँ
रिश्तों के कर्ज
एक एककर चुका दूँ
जी भरकर तुम्हें मना लूँ
आओ दिसंबर
आखरी बार
तुम्हें गले लगा लूँ
आओगे नव वर्ष में
फिर एक नए रूप में
नई खुशियाँ
नई उम्मीदें होंगी
तुम्हारी धूप में
एक नए आत्मविश्वास के साथ
उन सभी को पाऊँ
एक नई सुबह के साथ
उनके पाश में समाऊँ
चलते चलते तुम्हें
बस आखरी बार
क्षमा याचना कर भूलों की
जी भर कर गले लगा लूँ
समय भला किसी के रोके से रुका है कभी। यह वर्ष भी बीत गया। हर वर्ष की तरह इस बार भी कुछ संकल्प किए हैं। उनमें से एक है, नियमित ब्लॉग लिखना। लेखन की शुरुआत हमने ब्लॉग से ही की थी, पर धीरे धीरे सोश्ल मीडिया पर इतना रम गए, कि ब्लॉग को ही भूल बैठे। आज अपनी गलती का एहसास हो रहा है, और एक बार फिर हमने ब्लॉग की तरफ अपना रुख कर लिया है।
आओ
तुम्हें अंतिम बार गले लगा लूँ
निभ न सके जो वादे
उनका गम भुला दूँ
की जो गलतियाँ
उनपर ज़रा पछता लूँ
जो सुख के क्षण बिताए
उन्हें फिर दोहरा लूँ
जो पाए थे ज़ख्म
उनपर मलहम लगा लूँ
रिश्तों के कर्ज
एक एककर चुका दूँ
जी भरकर तुम्हें मना लूँ
आओ दिसंबर
आखरी बार
तुम्हें गले लगा लूँ
आओगे नव वर्ष में
फिर एक नए रूप में
नई खुशियाँ
नई उम्मीदें होंगी
तुम्हारी धूप में
एक नए आत्मविश्वास के साथ
उन सभी को पाऊँ
एक नई सुबह के साथ
उनके पाश में समाऊँ
चलते चलते तुम्हें
बस आखरी बार
क्षमा याचना कर भूलों की
जी भर कर गले लगा लूँ
समय भला किसी के रोके से रुका है कभी। यह वर्ष भी बीत गया। हर वर्ष की तरह इस बार भी कुछ संकल्प किए हैं। उनमें से एक है, नियमित ब्लॉग लिखना। लेखन की शुरुआत हमने ब्लॉग से ही की थी, पर धीरे धीरे सोश्ल मीडिया पर इतना रम गए, कि ब्लॉग को ही भूल बैठे। आज अपनी गलती का एहसास हो रहा है, और एक बार फिर हमने ब्लॉग की तरफ अपना रुख कर लिया है।
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