Tuesday, July 27, 2021

बाजारवाद

 



यह कोई ४५
, ४६, वर्ष पुराना किस्सा है. हमारी माँ के बाल बहुत झड रहे थे. उन्हें किसी ने सलाह  दी, कि फलां आयुर्वेदिक तेल गिरते केशों के लिए बहुत लाभप्रद है. माँ  ने वह तेल मँगवा लिया. और वाकई, चमत्कारिक असर हुआ. उनके बाल न सिर्फ गिरने बंद हो गए, बल्कि ४, ५ महीने में उनके सफ़ेद  बाल काले होने लगे और लम्बे भी.  भई वह तेल तो हिट हो गया. मम्मी की तो लाटरी लग गयी. फिर उन्होंने जीवनभर वही तेल इस्तेमाल किया.

 हम इस  वाकये को लगभग भूल चुके थे. कोई १५  वर्ष पहले, इनके एक मित्र की माता ने हमसे  वही शिकायत की. झट वह तेल याद आ गया, और हमने उन्हें उसका  नाम बता दिया. हालांकि वह तेल महंगा था . छोटी सी ५० एम् एल  की शीशी १०० रूपये की थी. उसपर कुछ ताकीदें लिखी थीं.  तेल  लगाते समय ध्यान रहे, कि केशों में नमी हो. कुछ बूँदें हथेली पर लेकर पोरों से हलके हलके चाँद पर मलना है. एक शीशी काफी दिन चल जाती थी. यही हिदायत हमने उन्हें दे दी.

उन्हें भी बहुत आराम हुआ. जब मिलें हमसे कहें, "बिटिया हमार तो जिन्दगी संवर गयी. क्या बढ़िया तेल बताये हो. इसे लगाने से बाल तो गिरने बंद हो ही गए, साथ में हमारा सर दर्द भी गायब हो गया."

हम खुश हो गए, सुनकर. फिर कुछ वर्षों बाद, हमारे साथ भी वही हुआ. बाल बुरी तरह झड़ने लगे. पर अब तेल मिले कहाँ. कोरोना में तो लॉक डाउन के चलते, घर से निकलना संभव न था.  दुकानें भी लगभग सभी बंद थीं. अब क्या करें. फिर सोचा, टेली मार्केटिंग साइट्स पर देखें . ढूँढना शुरू किया. और आखिरकार हमें वह तेल मिल ही गया. किसी नामचीन कंपनी के प्रोडक्ट्स में लिस्टेड था. खैर हमें उससे क्या करना था. तेल मिल गया, बस हमारी ख़ुशी का ठिकाना न था. तिगुने दाम पर, झट से आर्डर कर दिया. ४, ५ दिन में वह हमारे हाथों में था.  बहुत खुश...!

जब इंस्ट्रक्शन पढने शुरू किये, तो यह क्या. उन्होंने एक ढक्कन नुमा कंघा दिया था, जो उस शीशी के मुहाने पर कसकर, उसी से तेल लगाना था. कंघे में छेद थे, हम चौंके. यह वही तेल है जिसपर लिखा रहता था, हथेली पर कुछ बूँदें लेकर , हलके हलके गीली जड़ों पर मलिए? यहाँ तो शीशी  उड़ेलने की बात हो रही थी...!

खैर हमने तो वही किया जो हमें पता था. पर इस पूरे वाकये से मन में एक विचार कौंधा.  उस तेल के विषय में बहुत कम लोग जानते होंगें. उस प्रसिद्द कंपनी को भी उसकी गुणवत्ता का अंदाज़ हो गया होगा.  उन्होंने सौदा किया होगा. हम आपका पेटेंट ले लेते हैं. नाम वही पुराना रहेगा, पर मार्केटिंग हमारी होगी. भागते भूत की लंगोटी भली. उस तेल के उत्पादक भी तैयार हो गए होंगे, और एक नयी पैकिंग, नयी हिदायतों के साथ वह तेल बाज़ार में उतार दिया गया. वह एक बहुत हो स्ट्रोंग तेल रहा होगा तभी तो कुछ बूँदें, वह भी गीले सर में ही लगाने की हिदायत दी गयी थी. पूरी शीशी का बालों पर क्या असर होगा, इसकी चिंता करना उस कंपनी ने ज़रूरी नही समझा.

बेचनेवालों को केवल अपना उत्पाद बेचने से मतलब है. उससे लोगों को फायदा हो या नुकसान, उन्हें इससे क्या सरोकार ..! जितना अधिक तेल का प्रयोग, उतनी अधिक बिक्री...! बस सारे नियम पहुँच गए ताक पर.

उत्पादकों की हिदायतें दरकिनार कर दी गयीं...!,

और वह तेल लॉन्च हो गया...!

 

सरस दरबारी

 

3 comments:

  1. कंघे वाले तेल का विज्ञापन बहुत बार देखा । अभी नाम याद नहीं आ रहा । यदि आप रिकमेंड करें कि वाकई तेल सही है तो मंगाया जय । कुछ याद आया इंदुलेखा नाम है ?
    हम आपका ही बताया तरीका अपनाएंगे । बाजारवाद तो जो न कर दे थोड़ा ।

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    1. इनबॉक्स में नाम लिख दिया है संगीता जी..😊

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