मेरे हिस्से की धूप
५४ साल लम्बी यादें........उतार चढ़ावों से भरीं, जिसमें बहुत कुछ बीता..... कुछ फाँस सा असहनीय पीड़ा दे गया .... कुछ अनायास ही खिल आनेवाली मुस्कराहट का सबब बन गया.... कुछ एक कविता बन मुखरित हो गया... कुछ , बस यूहीं धूप में छाँव सा ठंडक पहुंचा गया ...... और यादों का यह काफिला , पृष्ट दर पृष्ट पूरा जीवन बन गया जिसमें गाहे बगाहे, कुछ सुरीले, सुखद क्षण, .....मेरे हिस्से की धूप बन गए.....
Friday, April 5, 2024
Saturday, April 1, 2023
Sunday, January 1, 2023
Saturday, December 17, 2022
Tuesday, July 27, 2021
Thursday, June 10, 2021