देश की खातिर वीरों ने दी 
जीवन की कुर्बानी
हर शहीद के साथ जुड़ी  
शहादत की कहानी।
इन वीरों के परिवार की 
अपनी एक कहानी 
सिर्फ नहीं देता शहीद
देता कुनबा कुर्बानी 
पीछे रह जाते हैं 
एक बेवा बूढ़ी माता 
जर्जर शरीर लिए पिता 
एक बहन और एक भ्राता 
इनके सपने, इनके अरमान काठ हो जाते हैं 
शहीदों के जब ताबूत में अवशेष आते हैं । 
  
बूढ़ी माँ थी खड़ी वहाँ 
लिए आँखें पथराईं  
भेजा था जिसको तिलक लगा  
करे उसकी अगुआई  
दोनों हाथों से शीश झुका 
जो माथा चूमा था 
उसकी काठी के टुकड़ों की 
बस गठरी है आई 
अर्थी चूम बिलखना उसका देख न पाते हैं 
शहीदों के जब ताबूतों में अवशेष आते हैं 
एक शहीद की ब्याहता थी
चूड़ा था हाथों में 
पथराई सी थी खड़ी हुई 
उजड़े हालातों में 
उसका अंश भीतर पल रहा  
यह खबर सुनानी थी 
उसके अरमान शहीद हुए 
किस्मत की घातों में
उजड़ी किस्मत देख आँसू रुक न पाते हैं 
शहीदों के जब ताबूतों में अवशेष आते हैं 
उसी भीड़ में कोने में 
 बैठा था बूढ़ा बाप 
कर्ज़ बीमारी बन गए थे 
अब जीवन का श्राप  
उसके बुढ़ापे की तो अब 
लाठी भी टूटी थी 
अब तक थी जो पल रही 
वह आस भी छूटी थी 
जर्जर सहमी काया देख के मन भर आते हैं 
शहीदों के जब ताबूतों में अवशेष आते हैं 

 
निःशब्द !
ReplyDeleteरेखा श्रीवास्तव
शुक्रिया रेखा जी ...:)
ReplyDeleteभावनात्मक
ReplyDeleteसादर आभार..!
Deleteसरस जी ,
ReplyDeleteपूरा खाका खींच दिया जब ताबूत में कोई शहीद हो कर आता है । असली शहीद तो पूरा कुनबा होता है ।।
नम हो गईं आँखें ।